दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के दोषियों में से एक पवन गुप्ता तथा उसके पिता को अपना अधिवक्ता नहीं होने के बावजूद विधिक सेवा से वकील लेने की सलाह मानने की अनिच्छा को लेकर फटकार लगाते हुए कहा कि वे सिर्फ मामले में देरी कर रहे हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा, यह उचित नहीं है. आप ऐसे देरी नहीं कर सकते हैं. आप मामले में देरी कर रहे हैं... आपको (वकील) मुहैया कराना मेरा कर्तव्य है. आप लेते हैं या नहीं, यह आपके ऊपर है. यह बहुत गंभीर मामला है. आपको एक वकील करना चाहिए था.
न्यायाधीश की यह टिप्पणी तब आयी जब पवन के पिता ने अदालत को बताया कि उसने अपने वकील को हटा दिया है और उसे सरकारी वकील भी नहीं चाहिए. उसने न्यायाधीश से कहा, मैं खुद वकील कर लूंगा. कृपया मुझे 2-3 दिन का समय दें. इस कांड में मौत की सजा पाने वाले चार दोषियों में से सिर्फ पवन ने ही अभी तक उपचारात्मक याचिका दायर नहीं की है. मौत की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह अंतिम न्यायिक रास्ता है जिसपर फैसला उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति के कक्ष में होता है. उसके पास अभी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का भी विकल्प है. अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को निर्देश दिया कि वह अपने पैनल में शामिल वकीलों की एक सूची पवन के पिता को उपलब्ध कराए. प्राधिकरण ने ऐसा ही किया.
मामले की अगली सुनवाई अब गुरुवार को होगी. अदालत ने कहा कि दोषी अपनी अंतिम सांस तक कानूनी सहायता पाने का हकदार है. निर्भया के माता-पिता और दिल्ली सरकार ने मंगलवार को अदालत का रूख कर दोषियों के खिलाफ नया मृत्यु वारंट जारी करने का अनुरोध किया था. मुकेश कुमार सिंह (32) पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी. दूसरी बार मृत्यु वारंट पर तामील टाली गई थी. पहली बार चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का मृत्यु वारंट जारी किया गया था. इस पर 17 जनवरी को स्थगन दिया गया था. उन्हें एक फरवरी को फांसी देने के लिए दूसरा वारंट जारी किया गया जिस पर अदालत ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक रोक लगा दी थी.
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एक निचली अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषियों को फांसी देने के लिए नयी तारीख की मांग करने वाली दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका सात फरवरी को खारिज कर दी थी. गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और बर्बरता की गयी थी. सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी. इन चार दोषियों समेत छह लोगों के नाम आरोपियों में शामिल थे. इन चारों के अलावा राम सिंह और एक किशोर का नाम आरोपियों में था.
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इन पांच वयस्क पुरुषों के खिलाफ मार्च 2013 में विशेष त्वरित अदालत में सुनवाई शुरू हुई थी. राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. किशोर को तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया था. किशोर को 2015 में रिहा किया गया और उसके जीवन को खतरे के मद्देनजर उसे किसी अज्ञात स्थान पर भेजा गया. जब उसे रिहा किया गया, तब वह 20 साल का था. मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को निचली अदालत ने सितम्बर 2013 में मौत की सजा सुनाई थी. भाषा अर्पणा अमित अमित