निर्भया केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि जिन दोषियों के क़ानूनी राहत के विकल्प ख़त्म हो गए है, उनको फांसी दी जानी चाहिए. सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रखते हुए कहा कि एक दोषी द्वारा अगर जानबूझकर देरी हो रही है तो क्या बाकी दोषियों की फांसी की सज़ा पर अमल नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दोषी की फांसी की सज़ा में अगर देरी होगी तो फिर वो शत्रुघ्न केस का ही हवाला देकर फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदलने की मांग करेंगे.
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उन्होंने कहा कि पवन की रिव्यू याचिका जुलाई 2018 में खारिज हो चुकी है, लेकिन अभी तक उसकी ओर से क्यूरेटिव याचिका दायर नहीं की गई है. इस पर जस्टिस भानुमती ने कहा कि लेकिन हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को कानूनी विकल्प आजमाने के लिए अभी 7 दिन का वक़्त दिया है. सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि दोषी देश के सब्र का इम्तिहान ले चुके हैं. ऐसे मसलों पर क़ानून बनाने की ज़रूरत है. जस्टिस भानुमति ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को अभी 7 दिन का वक़्त दिया है, ये समयसीमा 11 फरवरी को खत्म होगी. मामले की सुनवाई 11 फरवरी को होगी.
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सॉलीसीटर जनरल ने कोर्ट से आग्रह किया कि आप दोषियों को नोटिस भी जारी कर दें. इस मसले पर क़ानून बनाने की जरूरत है. इससे कुछ नुकसान नहीं होने वाला. ये बेहतर होगा कि मैं दोषियों के वकील की मौजूदगी में जिरह करूं. आप नोटिस जारी कर दीजिए. लेकिन कोर्ट ने दोषियों को नोटिस न जारी करते हुए मामले की अगली तारीख 11 फरवरी के लिए टाल दी.
Source : News Nation Bureau