तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता ने कानूनी मदद के रूप में वकील लेने से मना कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने बुधवार को पवन गुप्ता को वकील की पेशकश की थी और उसकी ओर से विलंब करने पर नाराजगी जताई थी. वहीं, दिल्ली कोर्ट ने डेथ वारंट पर सुनवाई सोमवार के लिए टल दी है.
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पवन ने कहा था कि उसने अपने पहले वकील को हटा दिया है और नया वकील करने के लिए उसे समय चाहिए. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने पवन के पिता को वकील चुनने के लिए अपने पैनल में शामिल अधिवक्ताओं की एक सूची उपलब्ध कराई थी. पवन ने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है. उसके पास दया याचिका दायर करने का भी विकल्प है.
निर्भया के गुनाहगारों के डेथ वांरट जारी करने की मांग पर एपी सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट में कहा कि विनय की राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ अर्जी पर अभी SC ने फैसला सुरक्षित रख लिया. सरकारी वकील इरफान अहमद ने बताया कि पवन को सौंपी गई वकीलों को लिस्ट में से उसने कोई वकील चुनने से इन्कार कर दिया है. (अब एपी सिंह पवन की पैरवी नहीं कर रहे हैं)
पवन को वकील नहीं देना चाहिए: निर्भया के वकील
वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट में कहा कि अंजना प्रकाश को सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ SC सुनवाई के लिए पवन की पैरवी के लिए एमिकस क्युरी नियुक्त किया था. जज का कहना है कि अभी वो इस पर सुनवाई करेंगे कि पवन के वकीलों की लिस्ट में से कोई वकील न रखने पर क्या किया जा सकता है. निर्भया के माता-पिता की वकील सीमा कुशवाहा का कहना है कि एक बार पवन की ओर से सरकारी कानूनी सहायता लेने से इन्कार करने पर उसे वकील नहीं दिया जाना चाहिए.
दोषी कानूनी सहायता से इंकार कर दे तो भी...
कोर्ट का सवाल, तो क्या ऐसी सूरत में दोषी को उसके अधिकार से वंचित किया जा सकता है. सरकारी वकील इरफान अहमद का कहना है कि अगर दोषी कानूनी कानूनी मदद लेने से भी मना कर दे, तब भी कोर्ट द्वारा उसे पैरवी के लिए वकील दिया जाना चाहिए. लेकिन नया डेथ वारंट जारी करने पर कोई रोक नहीं है. कोर्ट फांसी की तारीख तय कर सकता है. निर्भया के माता पिता के वकील जितेंद्र झा ने कहा कि दोषी कोर्ट के सब्र का इम्तिहान ले रहे हैं. कोर्ट को डेथ वारंट जारी करना चाहीए. लोगों की इच्छा सर्वोपरि है. संविधान उसके बाद आता है.
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जेल में गुनाहगारों की मजे की ज़िंदगी जारी रहेगी
संविधान लोगों की इच्छा को दरकिनार नहीं कर सकता है. लोगों की यही इच्छा है कि तुंरत फांसी होनी चाहिए. जितेंद्र झा ने कहा कि ये एक ऐसा मामला है, जिसने देश की सामूहिक चेतना को झकझोर कर रख दिया था. अब सज़ा में एक पल की भी देरी लोगो में बैचेनी पैदा करेगी. जितेन्द्र झा बोले कि अगर आज भी डेथ वारंट जारी नहीं हुआ तो जेल में गुनाहगारों की मज़े की ज़िंदगी जारी रहेगी.
फांसी की सज़ा के लिए कोई तारीख तय करें
एपी सिंह- SC ने विनय की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखा हुआ है. अभी डेथ वांरट की मांग कैसे की सकती है. मेरी समझ से परे है कि कैसे जितेन्द्र झा जेल की ज़िन्दगी को मज़े की ज़िंदगी करार दे रहे हैं. सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि अगर ये मान लिया जाए कि SC में अर्जी स्वीकार हो जाती है, तब क्या होगा? क्या ये बेहतर नहीं होगा कि हम SC में पेंडिंग केस के परिणाम का इतंज़ार करें. उसके बाद फांसी की सज़ा के लिए कोई तारीख तय करें.
गम्भीर मामलों में ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए
जज ने कहा कि हम आगे का अभी अनुमान नहीं लगा सकते. जज्बातों से प्रभावित नहीं हो सकते. हमें कानून का सम्मान करना होगा. वृंदा ग्रोवर ने कहा कि कोर्ट किसी भी दोषी को बिना पर्याप्त पैरवी के उसके हाल पर नहीं छोड़ सकता. निर्भया के माता-पिता के वकील का सात साल से जेल में रह रहे दोषियों की ज़िंदगी को लग्ज़री लाइफ कहना सही नहीं है. ऐसे गम्भीर मामलों में ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए.
निर्भया की मां कोर्ट रूम में रो पड़ी
जज आदेश पढ़ रहे हैं. कोर्ट दोषी के भी मूल अधिकार को नजर अंदाज नहीं कर सकता. जीने के अधिकार के तहत दोषी को अपने पूरे क़ानूनी राहत के विकल्प आजमाने का अधिकार है. विनय की अर्जी पर कल SC सुप्रीम आदेश सुनाने वाला है. लीगल सर्विस ऑथोरिटी की ओर से रवि काज़ी को भी पवन की पैरवी के लिए तैयार होने के वक़्त चाहिए. डेथ वारंट बड़ा संजीदा विषय है. इसे कयासों के आधार पर जारी नहीं किया जा सकता है. लिहाजा कोर्ट अभी सुनवाई को टाल रहा है. वकीलों ने शनिवार को उपलब्ध न होने की बात कही तो निर्भया की मां कोर्ट में रो पड़ी.
सोमवार के लिए सुनवाई टाल दी गई
कहने लगी- मैं कोर्ट के सामने ऐसे नहीं बोलना चाहती, लेकिन अगर किसी के पास टाइम नहीं है, तो सुनवाई टलती रहेगी. नहीं जारी होगा डेथ वांरट. मैं भी तो रोज उम्मीद लेकर आती हूं. कोर्ट ने उन्हें आश्वस्त किया और कहा कि आपको बोलने से किसने मना किया. जिस कानून ने उन्हें फांसी दी, उससे बाहर ना मैं जा सकता हूं, ना आप जा सकती हैं, उस कानून का हमें पालन करना होगा. सुनवाई सोमवार के लिए टाल दी गई है.