निर्भया के दोषी विनय ने फांसी से पहले मांगी थी जान की भीख, कहा- मैं मरना नहीं चाहता

फांसी पर लटकाए जाने से पहले निर्भया के एक दोषी विनय ने अपनी जान की भीख मांगी थी. उसने जेल अधिकारियों से गिड़गिड़ाते हुए कहा- साहब, मैं मरना नहीं चाहता, मुझे माफ कर दो.

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Sunil Mishra
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निर्भया के दोषी विनय ने फांसी से पहले मांगी थी जान की भीख( Photo Credit : FILE PHOTO)

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फांसी पर लटकाए जाने से पहले निर्भया (Nirbhaya Rape and Murder Case) के एक दोषी विनय ने अपनी जान की भीख मांगी थी. उसने जेल अधिकारियों से गिड़गिड़ाते हुए कहा- साहब, मैं मरना नहीं चाहता, मुझे माफ कर दो. कल शाम चारों दोषियों को डिनर में रोटी और खिचड़ी दी गई थी, लेकिन चारों ने एक रोटी और थोड़ी खिचड़ी खाई. मुकेश और विनय को वार्ड नंबर 8 में रखा गया था तो पवन को जेल नंबर 1 और अक्षय को जेल नंबर 7 में. तीनों वार्ड के अंदर 15 पहरेदार शैडो की तरह दोषियों के साथ मौजूद थे. चारों पूरी रात सो नहीं सके और रात भर जागकर पुलिसकर्मियों से पूछते रहे कि क्या कोर्ट से कोई नया ऑर्डर आया है. चारों वार्ड में कभी चहलकदमी करते रहे, तो कभी हाथों के बीच में सिर दबाकर बदहवास बैठे नजर आए.

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तड़के 3:30 बजे जेल मैनुअल के अनुसार जेलकर्मी चारों को जगाने गए तो उनके चेहरे सफेद पड़ चुके थे. साफ दिख रहा था कि वे एक पल भी नहीं सो सके. चारों को स्नान और प्रार्थना के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.  विनय ज़मीन में लेटने लगा, माफी मांगने लगा, उसने जेल के दिए नए कपड़े भी पहनने से मना कर दिया. जेल मैनुअल के अनुसार फांसी देने से पहले सुबह नए कपडे पहनने को दिए जाते हैं , लेकिन जेल का दिया कुर्ता पाजामा नहीं पहना. पवन भी ना-नुकुर कर रहा था लेकिन जेलर के समझाने पर मान गया.

इसके बाद उन्हें करीब 4:30 बजे फांसी कोठी ले जाया गया, रास्ते में भी माफ करने के लिए गिड़गिड़ाता रहा. फांसी कोठी में डीएम, डीजी, मजिस्ट्रेट, जेल सुपिरिंटडेंट, मेडिकल ऑफिसर, दो असिस्टेंट सुपरीटेंडेंट जेलर, वार्डर, समेत 15 लोग मौजूद थे. फांसी कोठी में जल्लाद पवन की देख-रेख में चारों के हाथ-पांव बांध दिए गए. उनके चेहरे पर नकाब डाल दिया गया ताकि वह अंदर होने वाली प्रक्रिया को खुली आंखों से ना देख सके. इससे उनके डरने की आशंका कम होती है. आखिरी आधे घंटे में जेल के अंदर पिन ड्राप साइलेंट था. सभी फांसी की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी और कर्मी इशारों में बात कर रहे थे.

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चारों दोषियों से उनकी इच्छा के तौर पर उनकी वसीयत उनके कपड़े और उनके जेल में कमाए गए रुपयों के नॉमिनी के बारे में पूछा गया. ठीक 5:30 बजे 10 फुट के तट पर लगे चारों संधू के ऊपर दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया.  आधे घंटे तक उनके शव फंदे पर लटके रहे. 6 बजे मेडिकल ऑफिसर ने शवों की जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया. उसके बाद सभी शवों को फंदे से उतारा गया और उनका पंचनामा शुरू किया गया. 8:05 पर दो एंबुलेंस में चारों के शव ddu अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए ले जाए गए.

Source : Avneesh Chaudhary

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