फांसी के फंदे पर लटकने से पहले निर्भया के दोषी डरे हुए हैं. इसी क्रम में निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले के दोषियों में से एक और दोषी मुकेश ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है. इससे पहले दोषी विनय कुमार शर्मा ने क्यूरेटिव याचिका दायर की थी. हालांकि, बाकी दो दोषियों अक्षय और पवन ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की है. पहले ही दोषियों के वकील एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने की बात कही थी.
यह भी पढ़ेंःअमेरिका-ईरान के तनाव को लेकर पोप फ्रांसिस ने दी इस संकट की चेतावनी, जानें क्या
दोषी मुकेश की ओर से दायर क्यूरेटिव पिटीशन के मुख्य आधार ये हैं. इस केस में राम सिंह की भूमिका सबसे संगीन थी. उसकी ओर से पहुंचाई गई चोट की वजह से निर्भया की जान गई. मुकेश का रोल उतना संगीन नहीं था. नवंबर 2018 के बाद रेप और मर्डर के 17 मामलों में सुप्रीम कोर्ट फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल चुका है.
नवंबर 2018 के बाद देश के अलग-अलग HCs रेप और मर्डर के 74 केस में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया है. दोषी के सुधार/पुनर्वास की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है. मीडिया और राजनीतिक दवाब के चलते मुकेश का केस प्रभावित हुआ है. मुकेश की आर्थिक सामाजिक स्थिति का हवाला देते हुए ओपन कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई की मांग की गई है.
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चार जनवरी को सभी चार दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी को सुबह 7 बजे सभी दोषियों को फांसी पर चढ़ाने का आदेश दिया था. डेथ वारंट जारी होने के बाद निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाया जाएगा. इसके लिए 22 जनवरी बुधवार को सुबह 7 बजे का समय तय किया गया है.
गौरतलब है कि निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कोर्ट के फैसले पर कहा था कि मैं अदालत के फैसले से खुश हूं. दोषियों को 22 जनवरी को 7 बजे फांसी दी जाएगी. इस फैसले से ऐसे अपराध करने वालों लोगों में डर पैदा होगा. पटियाला हाउस कोर्ट के न्यायाधीश ने 9 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की थी. सुनवाई के दौरान दोषी मुकेश की मां कोर्ट में ही रो पड़ीं. मुकेश की मां ने निर्भया की मां से कहा था कि आप भी मां हो, मैं भी मां हूं, मेरे बेटे को माफ कर दो. इस पर जज और वकीलों ने उन्हें रोका था.
इस मामले में पिछले एक माह में तकरीबन 3 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज की हैं. सुप्रीम कोर्ट एक दोषी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर चुका है, जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने एक और दोषी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने खुद को जुवेनाइल होने का दावा किया था. उस आरोपी ने खद को अपराध के समय नाबालिग बताकर मामले की सुनवाई जेजे एक्ट के तहत करने की गुहार लगाई थी.
यह भी पढ़ेंःमहाराष्ट्र में BJP-MNS के गठबंधन पर देवेंद्र फडणवीस ने दिया ये जवाब, जानें क्या कहा
किसी मामले के दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाने के बाद क्यूरेटिव पिटीशन दायर किया जाता है. क्यूरेटिव पिटीशन ही दोषी के पास अंतिम मौका होता है, जिसके जरिए वह अपने लिए तय सजा में नरमी की गुहार लगा सकता है. क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई के बाद दोषी के लिए कानून के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं.
Source : News Nation Bureau