निर्भया की मां आशा देवी (Nirbhaya Mother Asha Devi) ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैलना का स्वागत किया है, जिसमें कोर्ट ने चारों दोषियों को एक हफ्ते में कानूनी विकल्प लेने का निर्देश दिया है. आशा देवी ने कहा कि मैं दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करती हूं. यह उन्हें उपलब्ध सभी कानूनी उपायों का सहारा लेने के लिए सभी चार दोषियों को 1 सप्ताह का समय देता है. इसके बाद दोषियों को जल्द फांसी दी जानी चाहिए.
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बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दी, जिसमें सरकार ने निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी की सजा देने की मांग की थी. केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर कर सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की पैरवी की थी. केंद्र का कहना था कि जिन दोषियों की दया याचिका (Mercy Petition) राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं, उन्हें फांसी पर लटकाया जाना चाहिए. दोषी खुद को बचाने के लिए अलग-अलग दया याचिका राष्ट्रपति के पास दायर कर रहे हैं. लीगल रेमिडीस के नाम पर दोषी खुद को बचा रहे हैं और इससे पीड़ित परिवार को न्याय मिलने में देरी हो रही है. यह दोषियों की डिले टैक्टिक्स है.
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim: I welcome Delhi High Court's verdict. It gives all 4 convicts 1 week to resort to all legal remedies available to them. After this, the convicts should be hanged soon. pic.twitter.com/i67pUPFIQ2
— ANI (@ANI) February 5, 2020
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दोषियों को एक सप्ताह में सभी कानूनी विकल्प लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा, हाईकोर्ट की याचिका का हाईकोर्ट में ही निपटारा किया जाए. कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि निर्भया के दोषियों को जल्द ही फांसी मिल सकेगी. कोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए सभी दोषियों को एक साथ फांसी दिए जाने को सही माना.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि दोषी सजा के अमल में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं. दूसरी ओर, दोषियों के वकील एपी सिंह और दोषी मुकेश की वकील रेबेका जॉन ने केंद्र सरकार की याचिका पर ऐतराज जताते हुए कहा था- दोषी मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने देरी के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर खारिज की है. निर्भया की मां ने भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच के सामने मेंशनिंग कर फैसला जल्द सुनाए जाने की मांग की थी.
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए दो बार डेथ वारंट (Death Warrant) जारी कर चुका है, लेकिन कानूनी दांवपेंच के चक्कर में दोनों बार चारों दोषियों की फांसी टल चुकी है.
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क्या है निर्भया गैंगरेप केस
दोस्त के साथ दक्षिण दिल्ली के मुनिरका इलाके में बस स्टैंड पर खड़ी 23 साल की एक पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात बस में एक नाबालिग समेत 6 लोगों ने न केवल गैंगरेप किया था, बल्कि बर्बर तरीके से मारपीट भी की थी. गैंगरेप के बाद पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया गया था. पैरामेडिकल स्टूडेंट अपने फ्रेंड के साथ फिल्म देखकर घर लौट रहे थे. बुरी तरह जख्मी युवती को बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर सिंगापुर ले जाया गया था, जहां 29 दिसंबर, 2012 को उसकी मौत हो गई थी.