वर्ष 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले (Nirbhaya rape Case) के दोषियों को फांसी देने के लिए तिहाड़ जेल उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से दो जल्लाद उपलब्ध कराने की मांग करेगी. तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि काफी संभावना है कि हम गुरुवार को उत्तर प्रदेश जेल प्राधिकरण को पत्र लिखेंगे और उपलब्धता के आधार पर दो जल्लादों की सेवा उपलब्ध कराने का आग्रह करेंगे.
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अधिकारी ने बताया कि पिछले महीने दोषियों के खिलाफ मृत्यु वारंट जारी होने से पहले तिहाड़ के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश जेल प्राधिकरण को पत्र लिखकर मेरठ से एक जल्लाद भेजने की मांग की थी. दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को दोषियों-मुकेश (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) के खिलाफ मृत्यु वारंट जारी किया और उन्हें 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी पर लटकाने का आदेश दिया.
आपको बता दें कि निर्भया केस के दोषियों मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को तिहाड़ के जेल नंबर 3 में फांसी दी जाएगी. तिहाड़ में फांसी का तख्ता जेल नंबर-3 में ही है, जिसमें संसद भवन पर हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरु को रखा गया था. जेल नंबर-3 में प्रवेश करने के बाद सीधे फांसी की कोठरी के लिए रास्ता जाता है. यहां फांसी की कोठरी से लगते हुए ही 16 हाई रिस्क सेल हैं. यहीं करीब 50 स्कवॉयर मीटर जगह में फांसीघर बनाया गया है. इसके गेट पर हमेशा ताला लगा रहता है. अभी 3 दोषी जेल नंबर 2 में हैं और एक को जेल नंबर 4 में रखा गया है.
फांसी देने के लिए जेल नंबर-3 में पहले ही चार फांसी के हैंगर तैयार कराए गए हैं. इनकी जांच शुरू कर दी जाएगी. चारों को फांसी पर लटकाने के लिए एक बार फिर से यूपी सरकार को पत्र लिखा जाएगा, ताकि समय पर जल्लाद का इंतजाम किया जा सके. फांसी के समय चारों दोषियों से पूछा जाएगा कि उनके नाम अगर कोई पैसा या प्रॉपर्टी है और वह उसे अपने परिजन या अन्य किसी के नाम करना चाहते हैं, तो जेल में ही उसका भी इंतजाम करा दिया जाएगा.
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जेल में रहते हुए इन्होंने अब तक काम करते हुए जितना पैसा कमाया है, वह भी ये चारों अपने परिजनों में जिसे देना चाहेंगे, दे दिया जाएगा. अब यह अपने परिजनों से बात नहीं कर सकेंगे. एक दिन पहले 7 जनवरी 2019 को पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी देने का निर्देश दिया था. हालांकि दोषियों को बचाने के लिए अभी भी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के रूप में कानूनी विकल्प मौजूद हैं.
Source : Bhasha