निसर्ग तूफान का नाम इसे बांग्लादेश ने दिया है. अप्रैल 2020 में चक्रवातों की नई सूची जारी की गई थी, इस सूची में निसर्ग, अर्णब, आग, व्योम, अजार, तेज, गति, पिंकू और लूलू जैसे 160 नाम शामिल हैं. पिछली लिस्ट का आखिरी नाम अम्फान था. इससे पहले हम सबने अम्फान, फोनी, नीलोफर, तितली, बिजली जल आदि तूफानों का नाम सुने है. आधिकारिक तौर पर तूफानों के नाम रखने की शुरुआत 1953 से शुरू हुई. ये बात अलग है कि सभी तूफानों का नामकरण नहीं किया जाता है. किसी भी तूफान का नामकरण तब किया जाता है जब उसकी स्पीड कम से कम 63 किमी प्रति घंटा हो. इसके साथ ही अगर तूफान की रफ्तार 118 किमी प्रति घंटा होता है तो उसे गंभीर तूफान माना जाता है. इसके अलावा अगर तूफान की रफ्तार 200 किमी प्रति घंटे से ज्यादा होता है तो उसे सुपर साइक्लोन की श्रेणी में रखते हैं.
मौसम विभाग के मुताबिक निसर्ग तूफान महाराष्ट्र के तटीय इलाकों से चक्रवाती तूफान करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से टकराया. जिसके बाद मुंबई के ज्यादातर इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश देखी गई. तूफान के टकराने से पहले मौसम विभाग ने मुंबई में हाई टाइड के आने की आशंका भी जताई. मौसम विभाग ने बुधवार रात 9:48 बजे मुंबई में हाई टाइड की चेतावनी दी. चक्रवात से निपटने के लिए एनडीआरएफ की 20 टीमें तैनात की गईं. इसमें मुंबई में 8 टीमें, रायगढ़ में 5 टीमें, पालघर में 2 टीमें, थाने में 2 टीमें, रत्नागिरी में 2 टीमें और सिंधूदुर्ग में 1 टीम की तैनाती है. वहीं, कुछ टीमों को स्टैंडबाई पर रखा गया था. बता दें कि दो हफ्ते में देश को दूसरे समुद्री तूफान का सामना करना पड़ रहा है. पहले अम्फान ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में तबाही मचाई थी. देश में आने वाले इन तूफानों आइए आपको बताते हैं क्या है तूफानों के नाम रखने के पीछे का रहस्य
निसर्ग का नाम कैसे पड़ा
इस तूफान का निसर्ग नाम बांग्लादेश ने दिया है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बनने वाले तूफानों के नाम बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड देते हैं. भारतीय मौसम विभाग ने अप्रैल 2020 में चक्रवातों की नई सूची जारी की थी. इसमें निसर्ग, अर्णब, आग, व्योम, अजार, तेज, गति, पिंकू और लूलू जैसे 160 नाम शामिल हैं. पिछली लिस्ट का आखिरी नाम अम्फान था. यह नाम थाईलैंड ने दिया था.
यह भी पढ़ें-आदेश कुमार गुप्ता को मिली दिल्ली BJP की कमान, जानें कौन हैं वे, कैसे बने हाईकमान की पहली पसंद
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने तूफानों को 2004 से नाम दिया गया
चक्रवातों को नाम देना सबसे पहले अटलांटिक सागर के आस-पास के देशों ने 1953 में शुरू किया. अब वर्ल्ड मीटिरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन ने सिस्टम बनाया है कि चक्रवात जिस क्षेत्र में उठ रहा है, उसके आसपास के देश ही उसे नाम देते हैं. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला 16 साल पहले यानी 2004 में शुरू हुआ. इसके लिए एक सूची बनाई गई. इसमें आठ देश हैं. आठ देशों को आठ नाम देने हैं. जब जिस देश का नंबर आता है तो उस देश की सूची में दिए गए नाम के आधार पर उस तूफान का नामकरण कर दिया जाता है.
यह भी पढ़ें-मुंबई में इस सदी का पहला चक्रवात है 'निसर्ग', समझिए साइक्लोन की पूरी क्रोनोलॉजी
अप्रैल में जारी हुई 160 नामों की लिस्ट, निसर्ग पहला नाम
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बनने वाले तूफानों के नाम बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड देते हैं. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अप्रैल 2020 में चक्रवातों की नई सूची जारी की. नई सूची में निसर्ग, अर्नब, आग, व्योम, अजार, तेज, गति, पिंकू और लूलू जैसे 160 नाम शामिल हैं. पिछली लिस्ट का आखिरी नाम अम्फान था. यह नाम थाईलैंड ने दिया था. अम्फान ने पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में भारी तबाही मचाई थी.
यह भी पढ़ें-Cyclone Nisarg : मुंबई पहुंचते ही कमजोर पड़ा तूफान 'निसर्ग', खतरा टला लेकिन बारिश जारी
सबसे पहला नाम ओनिल
2004 में जब तूफानों को नाम देने की शुरुआत हुई तो पहले अंग्रेजी अल्फाबेट्स के हिसाब से बांग्लादेश को ये मौका मिला. उसने पहले तूफान को ओनिल नाम दिया. इसके बाद जो भी तूफान आए, उनके नाम क्रमानुसार तय किए गए. अम्फान के बाद ये नाम समाप्त हो गए हैं. अब इन्हें फिर ऊपर से शुरू किया जाएगा. भारत ने इस सूची के लिए अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर और वायु नाम दिए थे.
यह भी पढ़ें-केंद्र सरकार की ओर से 10 बड़े राज्यों के तुलनात्मक अध्ययन में राजस्थान बना अव्वल
अमेरिका इस तरह रखता है तूफानों के नाम
बीबीसी की एक खबर के मुताबिक, अमेरिका ने वर्ल्ड वार-2 के दौरान चक्रवातों को महिलाओं का नाम देना शुरू कर दिया था. 1978 से आधे चक्रवातों के नाम पुरुषों के नाम पर रखे जाने लगे. अमेरिका हर साल के लिए 21 नामों की लिस्ट तैयार की जाती है. हर अल्फाबेट से एक नाम रखा जाता है, लेकिन Q,U,X,Y,Z को छोड़ दिया जाता है. अगर साल में 21 से ज्यादा तूफान आते हैं तो फिर ग्रीक अल्फाबेट जैसे अल्फा, बीटा, गामा का इस्तेमाल होता है. तूफानों का नाम तय करने में ऑड-ईवन फॉर्मूला अपनाया जाता है. मतलब ऑड साल में आने वाले तूफानों के नाम औरतों पर, जबकि ईवन साल में आने वाले तूफान के नाम पुरुषों पर होते हैं.
यह भी पढ़ें-जार्ज क्लूनी के अनुसार नस्लभेद सबसे बड़ी ‘महामारी’ है, व्यवस्था में बदलाव की है जरुरत
नामकरण इसलिए ताकि पहचान और सतर्कता रहे
तूफानों को नाम देने की कुछ वजहें मानी जाती हैं. जैसे, इससे मीडिया को रिपोर्ट करने में आसानी होती है. नाम की वजह से लोग चेतावनी को ज्यादा गंभीरता से लेते हैं. निपटने की तैयारी में भी मदद मिलती है. आम जनता भी ये नाम संबंधित विभागों के जरिए सुझा सकती है. इसके लिए नियम हैं. दो शर्तें प्राथमिक हैं. पहली- नाम छोटा और सरल हो. दूसरी- जब इनका प्रचार किया जाए तो लोग समझ सकें. एक सुझाव ये भी दिया जाता है कि सांस्कृतिक रूप से नाम संवेदनशील न हों और न ही उनका अर्थ भड़काऊ हो.
इस तरह बनता है चक्रवाती तूफान
चक्रवाती तूफान गर्मियों के आते ही शुरू हो जाते हैं. समुद्र में इक्वेटर के पास जब सूरज की गर्मी बढ़ती है तो समुद्र का पानी 27 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म हो जाता है. इससे भाप बनती है और गर्म हवा तेजी से ऊपर उठती है. ऊपर की नमी वाष्प से मिलकर बादल बनाती है. जब गर्म हवा उठती है तो वहां कम वायु दाब का क्षेत्र बनता है. गर्म हवा के तेजी से उठने पर नीचे की खाली जगह भरने ठंडी हवा तेजी से आ जाती है. इससे हवा चक्कर काटने लगती है और नमी से भरे बादल बादल भी घूमने लगते हैं. इससे तूफान उठता है. गर्मी और नमी जितनी ज्यादा होती है, तूफान उतना ही खतरनाक होता है. इक्वेटर के ऊपर (उत्तरी गोलार्ध में) तूफान बाईं तरफ घूमते हैं और नीचे (दक्षिणी गोलार्ध में) तूफान दाईं तरफ घूमते हैं.