देश की शिक्षा नीति में 34 साल बाद नए बदलाव किए गए हैं. बुधवार को इस शिक्षा नीति को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. नई शिक्षा नीति के कारण आने वाले भविष्य में कई बड़े बदलाव होंगे. नई शिक्षा नीति पर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने न्यूज नेशन से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की कोशिश है कि प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाई का माध्यम 22 भारतीय भाषाओं में से एक हो जिससे नई पीढ़ी में भाषा और संस्कृति से लगाव बढ़ें.
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उन्होंने कहा कि सरकारी नीतियों के कारण नौवीं तक बच्चे पास होते चले जाते हैं और दसवीं में बोर्ड एग्जाम आने पर फेल हो जाते हैं. इसलिए हम 10वीं और 12वीं के अलावा भी नई व्यवस्था में नए बोर्ड एग्जाम रखेंगे. जिससे बच्चों की योग्यता का सही तरीके से आकलन हो सके.
स्कूलों में शुरू होगा कौशल विकास
शिक्षा मंत्री ने कहा की नई शिक्षा नीति से सिर्फ पढ़ाई ही नहीं कौशल भी मिलेगा. बड़ी संख्या में छात्र स्कूल पूरा होने के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं, लिहाजा विज्ञान और गणित के साथ-साथ कौशल विकास इंटर्नशिप और कंप्यूटर कोडिंग पर भी ध्यान दिया जाएगा.
उच्च शिक्षा में विषयों को लेकर होगी आजादी
उन्होंने कहा कि आर्ट्स, कॉमर्स ,साइंस जैसी विधाओं में अब अलग-अलग सब्जेक्ट लिए जा सकते हैं. उच्च शिक्षा में क्रेडिट रेटिंग मिलेगी उसी के आधार पर बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद दोबारा की जा सकती है. उसी के आधार पर सेट से डिप्लोमा और डिग्री दी जाएगी.
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शिक्षा क्षेत्र के खर्च को बढ़ाया जाएगा
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों ने शिक्षा पर 6% जीडीपी का खर्च नहीं किया हो लेकिन शिक्षा केंद्र और राज्य दोनों का विषय है. राज्य और केंद्र सरकार मिलकर शिक्षा में संसाधनों की कमी नहीं होने देंगे.
Source : News Nation Bureau