एक सितंबर से नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हो गया है जिसमें ट्रैफिक नियम तोड़ने पर जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है. साथ ही सजा का भी प्रावधान है. ऐसे में कई जगह पर इन नए नियमों को लेकर लोगों में गुस्सा है और वह लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. इसी सिलसिले में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने न्यूज नेशन के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की और खई अहम सवालों के जबाव दिए.
सवाल- कई राज्यों ने नए नियमों में परिवर्तन किया है. ऐसे में क्या केंद्र सरकार भी भारी जुर्माने में कोई आंशिक का बड़ा फेरबदल कर सकती है?
जवाब- देखिए कानून में ही प्रावधान है. नए कानून के मुताबिक पहली गलती पर 500 रुपए तक का जुर्माना लगेगा, और दूसरी गलती पर 1500 तक का फाइन लगेगा. लेकिन राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो 500 या 1500 रुपए के फाइन को 100, 200 या 500 भी कर सकती है.
सवाल- अगर एक ऑटो ड्राइवर ने अपना ऑटो 26 हजार में खरीदा है और उस पर 47 हजार का जुर्माना होता है तो क्या है ज्यादिती नहीं है?
जवाब- आज हम ऐसी अवस्था में जी रहे हैं जब न तो लोगों में कानून के लिए डर है और न ही सम्मान. ट्रैफिक पुलिस सीटी बजाती है और लोग भाग जाते हैं. लोगों में कानून के लिए डर और सम्मान पैदा करना होगा, इसके लिए इन कड़े नियमों को बनाया गया है. ये सरकार को रेवेन्यू में फायदा पहुंचाने के लिए नहीं बनाए गए हैं. लोगों को इसे गंभीरता से लेना होगा. नए नियमों के बाद ही पोल्यूशन सर्टिफिकेट के लिए, फिटनेस सर्टिफिकेट, लाइसेंस के लिए लाइन लग गई, लोगों में जागरुकता बढ़ी. ये सच्चाई है कि नियम कड़े करने के बाद ही लोगों में जागरुकता है. ऐसे में अगर कड़े कानून से लोगों में अवेयरनेस आती है और उनकी जान बचती है तो ये पॉजिटिव साइन है.
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सवाल- क्या इन नए नियमों पर तमाम राज्यों और स्टेक होल्डर से चर्चा नहीं होनी चाहिए थी?
जवाब- हमने वर्ल्ड बैंक के सहयोग से और यूके, कनाडा, यूएसए, सिंगापुर के कानून का अध्यन करके ड्रफ्ट तैयार किया था. इतना ही नहीं ये बिल दोनों सदनों से पास हुआ था और सबसे चर्चा की गई थी, सुझाव लिए गए थे. अभी जो राज्य इस कानून का विरोध कर रहे हैं वो भी उस कमेटी में शामिल थे जिनसे चर्चा की गई थी. ऐसे में कुछ चीजों को राजनीति से ऊपर उठकर देखना चाहिए. मेरे विचार से इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. सबसे ज्यादा एक्सीडेंट के मामले में भारत दुनिया में टॉप है. भारत में हर रोज 5 लाख एक्सीडेंट होते हैं. इसमें डेढ़ लाख लोग मर जाते हैं. ढाई से तीन लाख लोगों के हाथ-पैर टूट जाते हैं. दो फीसदी देश की जीडीपी का नुकसान होता है. क्या ये सच्चाई नहीं है?
सवाल- गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्य जहां बीजेपी की सरकार है, वहां भी नियमों में परिवर्तन लाया जा रहा है. क्यों?
जवाब- एक आद राज्य को छोड़ दिया जाए तो कोई इसके विरोध में नहीं है. मैं इस मसले पर सभी मुख्यमंत्रियों से खुद बात कर रहा हूं और अनुरोध कर रहा हूं कि फिर इन नियमों को ध्यान से देखें और फैसला लें. मेरा विश्वास है कि सभी मुख्यमंत्रि उचिस फैसला करेंगे और निश्चित रूर से इसका समर्थन करेंगे.
सवाल- लेकिन गुजरात ने तो औपचारिक तौर पर जुर्माना कम करने की घोषणा की है.
जवाब- राज्यों को जो अधिकार हैं, उस अधिकार में उन्होंने फैसला किया है. इसमें कुछ गलत नहीं है. और अगर वो विरोध करते हैं तो ये उनका अधिकार है. लेकिन अगर उसके बाद राज्य में एक्सीडेंट में लोगों की जान जाती है तो ये भी उन्ही की जिम्मेदीरी होगी.
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सवाल- लोग पूछ रहे हैं क्या खराब सिग्नल, खुदी सड़के, गड्ढे, फुटपाथ पर अतिक्रमण, आवारा पशु, क्या एजेंसियों पर भी जुर्माना नहीं लगना चाहिए?
जवाब- अगर कोई रोड कॉन्ट्रैक्टर खराब रोड बनाता है तो उसके खिलाफ भी इस कानून में कानूनी कार्रवाई और फाइन लगाने का प्रावधान है. यह पहली बार हुआ है. और बात खराब सिग्नलों की तो इसमें कमियां है ये सच हैं और इनके लिए भी कानून में प्रावधान होने चाहिए. सरकार इस पर जरूर विचार करेगी.
सवाल- लोग पूछ रहे हैं कि क्या कानून लागू करने से पहले कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया जाना चाहिए था?
जवाब- हमने अक्षय कुमार के साथ अभियान चलाया. रेडियो के जरिए लोगों को जागरुक किया. कई एनजीओ और सामाजिक संगठनों में कार्यक्रम किए. हम लगातार कोशिश कर रहे हैं और करते रहेंगे. लेकिन कानून कानून होता है और इसका पालन करना सभी का कर्त्वय है. मेरी गाड़ी पर भी चालान लगाया गया था. कुछ मुख्यमंत्रियों को भी नोटिस आया था.
सवाल- कार की पिछली सीट पर बैठन वाले लोगों को भी सीट बेल्ट बांधन जरूरी है?
जवाब- नहीं. पिछली सीट पर बैठने वालों को सीट बेल्ट बांधना जरूर नहीं है. केवल ड्राइवर और उसके पास जो बैठता है, उनके लिए सीट बेल्ट बांधना जरूरी है
सवाल- क्या बिना जूते पहले टू व्हीलर चलाने पर जुर्माना लगेगा?
जवाब- नहीं, नए कानून में ऐसा कहीं नहीं लिखा है.
सवाल- जिन राज्यों ने जुर्माने कम किए हैं, आप उनसे दोबारा बात करेंगे?
जवाब- उनका जो अधिकार है वो वहां जुर्माने में कम ज्यादा कर सकते हैं. लेकिन जो उनके अधिकार में नहीं है, वो वहां बदलाव नहीं कर सकतें और इसी के तहत उन्हें काम करना चाहिए.
सवाल- नए कानून को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहे जोक्स पर आप क्या कहेंगे?
जवाब- मैं सोशल मीडिया यूजर्स से यही कहूंगा कि हम लोगों की जान बचाने, सड़क हादसों की संख्या कम करने के लिए ये सब कर रहे हैं. आप इसको मजबूत करने वाली बातें औऱ लोगों को जागरुक करने वाले जोक्स, कार्टून सोशल मीडिया पर डालें. ये फाइन उनके लिए है जो कानून का पालन नहीं करते. कानून का पालन करने वालों के लिए कोई फाइन नहीं है. ऐसे में मैं यही आग्रह करूंगा कि लोग भी हमें सोशल मीडिया पर हमें समर्थन करें.
सवाल- जुर्माने की रकम केंद्र की तरफ से कम होगी?
जवाब - नहीं होगी.