केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही एक नई इथेनॉल नीति लेकर आएगी, जिसका उद्देश्य गन्ने और धान के उत्पादकों की हितों की रक्षा करना होगा. यहां एक वर्चुअल (ऑनलाइन) कार्यक्रम में 1,197 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली 10,904 करोड़ रुपये की लागत वाले 33 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओंको समर्पित करने के बाद बोलते हुए गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार गन्ना और धान उत्पादकों की दुर्दशा से बहुत अच्छी तरह परिचित है.
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उन्होंने कहा, "देश में चीनी और चावल का उत्पादन अधिशेष (सरप्लस) में है और इसलिए केंद्र सरकार किसानों का समर्थन करने के लिए गन्ने और चावल से इथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने का इरादा रखती है."
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बता दें कि केंद्र सरकार ने पहली बार 2003 में पेट्रोल के साथ इथेनॉल के पांच प्रतिशत सम्मिश्रण का प्रस्ताव रखा था और 2007 में इसे अनिवार्य कर दिया गया था. दिसंबर 2013 में शरद पवार की अध्यक्षता वाले एक पैनल ने सम्मिश्रण सीमा को दोगुना करते हुए 10 प्रतिशत कर दिया था, जो अप्रैल 2015 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा दोहराया गया. इसके अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधित मंत्रालयों को प्रस्तावित सम्मिश्रण कार्यक्रम को वास्तविकता बनाने के तरीकों की तलाश करने का निर्देश दिया था.
Source : IANS