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भारत ने पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में चीन से कहा, 'क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं'

भारतीय सेना ने चीनी सेना को पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

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भारतीय सेना ने चीनी सेना को पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी और पैंगोंग सो तथा पूर्वी लद्दाख में विवाद के कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए. घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने रविवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोल्दो में लगभग 11 घंटे तक गहन वार्ता की.

अधिकारियों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में चीनी पक्ष को बताया कि दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों के लिए पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में विवाद शुरू होने से पहले की यथास्थिति की बहाली आवश्यक है और बीजिंग को विवाद के बाकी बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया गया कि भारतीय सेना देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी.

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चीनी सेना गलवान घाटी और कुछ अन्य इलाकों से पीछे हट गई है, लेकिन इसके सैनिक पैंगोंग सो में फिंगर फोर और फिंगर आठ से पीछे नहीं हटे हैं, जिसकी भारत मांग कर रहा है. चीन ने गोग्रा क्षेत्र से भी सैनिकों की वापसी पूरी नहीं की है. सूत्रों ने बताया कि रविवार को हुई बातचीत तनाव और कम करने, विवाद वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर केंद्रित थी.

दोनों पक्षों को अपने सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व से भी विमर्श करना है. उन्होंने बताया कि थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे को रविवार को हुई वार्ता के बारे में सोमवार सुबह विस्तृत जानकारी दी गई. इसके बाद उन्होंने पूर्वी लद्दाख की समूची स्थिति के बारे में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ चर्चा की. ऐसा माना जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी वार्ता से संबंधित जानकारी दी गई और सीमा विवाद को निपटाने के दायित्व से जुड़े सभी सैन्य और रणनीतिक अधिकारी अब समग्र स्थिति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं.

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भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं. चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन ने किया, जो दक्षिणी जिनजियांग क्षेत्र के कमांडर हैं. सैन्य वार्ता के इससे पहले के दौर में दोनों ओर के कोर कमांडरों के बीच एलएसी पर भारतीय क्षेत्र में 14 जुलाई को बैठक हुई थी, जो लगभग 15 घंटे तक चली थी. बैठक के ब्योरे पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है.

भारत ने पिछले सप्ताह चीन के इस दावे को खारिज किया था कि सीमा पर अधिकतर स्थानों पर सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, ‘‘इस उद्देश्य की दिशा में कुछ प्रगति हुई है लेकिन सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.’’ चीन की सेना की तैनाती के जवाब में भारत ने पिछले तीन सप्ताह में दौलत बेग ओल्डी और डेप्सांग घाटी के आसपास अपने सैनिकों और अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती में काफी वृद्धि की है. सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के दौरान भारत डेप्सांग से भी चीनी सैनिकों के हटने की मांग करता रहा है जहां उन्होंने 2013 में घुसपैठ की थी.

Source : Bhasha

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