रूसी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेन पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी के बाद भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल वार्षिक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन के दौरान कथित तौर पर नहीं मिलेंगे. सूत्रों के हवाले से ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं, लेकिन इस समय दोस्ती का ढोल पीटना मोदी के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता है. इस बीच समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारत सरकार के एक सूत्र के हवाले से कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की पुतिन की धमकियों से बहुत पहले ही शिखर सम्मेलन न करने का फैसला ले लिया गया था.
गौरतलब है कि पुतिन पिछले साल दिसंबर में 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली आए थे. 2022 में केवल दूसरी बार ऐसा होगा जब भारत और रूस के शीर्ष नेता 2000 के बाद से आमने-सामने नहीं मिलें. आमतौर पर दिसंबर में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन को कोरोना महामारी के कारण 2020 में सिर्फ एक बार रद्द कर दिया गया था. सितंबर में दोनों नेताओं ने उज्बेकिस्तान में एक क्षेत्रीय सुरक्षा ब्लॉक शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की, जहां मोदी ने पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है. फरवरी में युद्ध शुरू होने के बाद से भारत चीन के साथ रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है.
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भारतीय प्रधान मंत्री और रूसी राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है. अब तक भारत और रूस में 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं. इसकी मेजबानी एक बार भारत करता है और एक बार रूस. पिछला शिखर सम्मेलन 6 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं ने टेलीफोन पर बातचीत के जरिए संपर्क बनाए रखा है. इस साल 24 फरवरी से उनकी चार बार टेलीफोन पर बातचीत हुई है.
HIGHLIGHTS
- अब तक दोनों देशों के बीच 21 सालाना शिखर सम्मेलन हुए
- 2020 में कोरोना महामारी की वजह से नहीं हुआ था संवाद
- हालांकि पुतिन और पीएम मोदी फोन से रहते हैं संपर्क में