शीतकालीन सत्र में अब तक नोटबंदी को लेकर बहस नहीं हो पायी है हां हर रोज़ हंगामा ज़रूर हो रहा है। शुक्रवार को भी सदन के अंदर हंगामा चलता रहा। विपक्ष मांग करती रही की पीएम अपने बयान पर माफ़ी मांगें, आख़िरकार हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को स्थगित करना ही पड़ा।
सरकार की ओर से यह स्पष्ट कहा गया कि प्रधानमंत्री द्वारा माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। वित्तीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी का बयान विपक्षी पार्टी के लिए नहीं था बल्कि काला धन रखने वालों के लिए था।
ये भी पढ़ें- राज्यसभा में प्रधानमंत्री के बयान पर विपक्ष का हंगामा, कहा पीएम मांगे माफ़ी
पीएम मोदी ने शुक्रवार सुबह एक समारोह के दौरान कहा था, सरकार की आलोचना कर रहे लोगों की पीड़ा यह है कि उन्हें ख़ुद तैयारी का वक्त नहीं मिला। अगर उन्हें 72 घंटे का समय तैयारी के लिए मिल गया होता तो वो प्रधानमंत्री की तारीफ़ करते।
प्रधानमंत्री के इस बयान का विपक्षी सदस्यों ने संसद के दोनों सदनों में भारी विरोध किया और उनसे सदन के अंदर आकर माफी मांगने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि विपक्ष कालाधन रखने वालो का समर्थन कर रहे है, ये सरासर विपक्ष का अपमान है। पीएम को अपने बयान पर माफ़ी मांगनी चाहिए।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने मांग का समर्थन करते हुए कहा, प्रधानमंत्री को सदन के अंदर अपने बयान पर माफ़ी मांगनी चाहिए और ये साफ़ करना चाहिए कि काला धन किसके पास है।
हंगामे के कारण लोकसभा को एक बार के स्थगन के बाद, जबकि राज्यसभा को दो बार स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
ख़बरों की माने तो राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ये कहते हुए सुने गए कि प्रधानमंत्री के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता, बल्कि माफी तो विपक्षी सदस्यों को मांगनी चाहिए।
Source : News Nation Bureau
पीएम मोदी के बयान पर संसद में बवाल, सरकार बोली- उठता ही नहीं है माफ़ी का सवाल
सरकार की ओर से यह स्पष्ट कहा गया कि प्रधानमंत्री द्वारा माफी मांगने का सवाल ही नहीं है।
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शीतकालीन सत्र में अब तक नोटबंदी को लेकर बहस नहीं हो पायी है हां हर रोज़ हंगामा ज़रूर हो रहा है। शुक्रवार को भी सदन के अंदर हंगामा चलता रहा। विपक्ष मांग करती रही की पीएम अपने बयान पर माफ़ी मांगें, आख़िरकार हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को स्थगित करना ही पड़ा।
सरकार की ओर से यह स्पष्ट कहा गया कि प्रधानमंत्री द्वारा माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। वित्तीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी का बयान विपक्षी पार्टी के लिए नहीं था बल्कि काला धन रखने वालों के लिए था।
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पीएम मोदी ने शुक्रवार सुबह एक समारोह के दौरान कहा था, सरकार की आलोचना कर रहे लोगों की पीड़ा यह है कि उन्हें ख़ुद तैयारी का वक्त नहीं मिला। अगर उन्हें 72 घंटे का समय तैयारी के लिए मिल गया होता तो वो प्रधानमंत्री की तारीफ़ करते।
प्रधानमंत्री के इस बयान का विपक्षी सदस्यों ने संसद के दोनों सदनों में भारी विरोध किया और उनसे सदन के अंदर आकर माफी मांगने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि विपक्ष कालाधन रखने वालो का समर्थन कर रहे है, ये सरासर विपक्ष का अपमान है। पीएम को अपने बयान पर माफ़ी मांगनी चाहिए।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने मांग का समर्थन करते हुए कहा, प्रधानमंत्री को सदन के अंदर अपने बयान पर माफ़ी मांगनी चाहिए और ये साफ़ करना चाहिए कि काला धन किसके पास है।
हंगामे के कारण लोकसभा को एक बार के स्थगन के बाद, जबकि राज्यसभा को दो बार स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
ख़बरों की माने तो राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ये कहते हुए सुने गए कि प्रधानमंत्री के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता, बल्कि माफी तो विपक्षी सदस्यों को मांगनी चाहिए।
Source : News Nation Bureau