तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) की वापसी को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ किसान आंदोलन (Farmers Protest) भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और संयुक्त मोर्चा के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के मुताबिक शुरुआत से गैर राजनीतिक था. इसका मकसद किसानों के लिए कथित तौर पर अंधकार का युग लाने वाले काले कानूनों को वापस कराना था. यही वजह है कि शुरुआत में शाहीन बाग से जुड़े तत्वों के आंदोलन में शामिल होने के प्रयासों को खारिज कर दिया गया. यह अलग बात है कि कांग्रेस (Congress), आम आदमी पार्टी (AAP) समेत अन्य विपक्षी दलों के लगातार मिलते समर्थन के बीच किसान आंदोलन अब सीधे तौर पर बीजेपी सरकार विरोधी हो गया है. यहा तक कि राकेश टिकैत ने दो-टूक कह दिया है कि वह बंगाल-गुजरात में भी महापंचायत कर सरकार की नीयत को सामने लाएंगे. इसके साथ ही वह यह चेतावनी देने से भी खुद को नहीं रोक सके कि ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के बाद हल रैली लेकर देश भर के किसान दिल्ली में प्रवेश करेंगे. साथ ही यह भी आह्वान करते हैं कि किसान अपनी फसल को आग लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि सरकार उनकी मांगों को लगातार अनसुना कर रही है. यह तब है जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) न सिर्फ संसद में एमएसपी पर भरोसा दे चुके हैं, बल्कि बातचीत की मेज पर आने का आह्वान भी कर चुके हैं.
देश भर के किसान आएंगे एक मंच पर
गुरुवार को देशव्यापी रेल रोको आंदोलन के बीच टिकैत ने सोनीपत के गाजीपुर बॉर्डर पर देशभर के किसानों को साथ लाने की बात कही. उन्होंने कहा, 'हम किसानों को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए देशभर में महापंचायत करेंगे. हम पश्चिम बंगाल से लेकर मोदी के गृहराज्य गुजरात तक जाएंगे. वहां भी किसान महापंचायत होगी. उसके बाद उधर से एक बड़ा आंदोलन होगा. सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बाध्य किया जाएगा.' कृषि कानून निरस्त नहीं होने तक वापस घर नहीं जाने की बात दोहराते हुए टिकैत ने कहा कि किसानों को इसके लिये अपनी खड़ी फसल के बलिदान के लिये तैयार रहना चाहिए.
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फसल को आग के हवाले करने के लिए रहें तैयार
हिसार के खड़क पूनिया गांव में एक महापंचायत को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'आपको अपनी खड़ी फसल को आग ही क्यों न लगानी पड़े, आपको इसके लिये तैयार रहना चाहिए. सरकार को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि किसान घर लौट जाएंगे. हम अपनी फसल की कटाई भी करेंगे और उसके साथ ही अपना प्रदर्शन भी जारी रखेंगे.' उन्होंने कहा, 'तब तक कोई घर वापसी नहीं होगी.' टिकैत ने कहा कि हरियाणा के बाद वे पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात समेत देश के अन्य हिस्सों में भी पंचायत करेंगे. टिकैत ने कहा कि पहले जहां दिल्ली में 'ट्रैक्टर रैली' के लिये आह्वान किया गया था वहीं अगली बार वे अपने कृषि उपकरणों के साथ राष्ट्रीय राजधानी जाएंगे. दिल्ली बॉर्डर पर कंटीले तार लगवाने को लेकर टिकैत ने तंज कसते हुए कहा कि ये लोग रोटी तिजोरी में बंद कर देंगे.
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पश्चिम बंगाल में भी करेंगे महापंचायत
टिकैत ने कहा है कि किसानों का यह आंदोलन आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल तक फैलेगा. टिकैत ने कहा, 'क्या पश्चिम बंगाल कोई बाहरी राज्य है? तो फिर हम पश्चिम बंगाल क्यों नहीं जा सकते? वहां के किसानों को अपनी फसलों पर उचित कीमत नहीं मिल पा रही है.' उन्होंने कहा कि वह पश्चिम बंगाल जाने की योजना इसलिए नहीं बना रहे हैं कि वहां चुनाव होने वाले हैं, बल्कि किसानों के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए जा रहे हैं. टिकैत ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में भी महापंचायत आयोजित की जाएगी.
HIGHLIGHTS
- टिकैत की चेतावनी बंगाल, कर्नाटक समेत गुजरात में होगी महापंचायत
- तीनों कृषि कानूनों की वापसी तक जारी रहेगा किसानों का आंदोलन
- चेतावनी- दिल्ली की ओर अब हल लेकर कूच करेंगे देश भर के किसान