उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने बुधवार को तस्वीरों की एक श्रंखला जारी की जिनमें वहां के नेता किम जोंग-उन को एक सफेद रंग के घोड़े पर बर्फ से ढके एक पहाड़ पर चढ़ते हुए दिखाया गया है. ये पहाड़ देश में पवित्र माना जाता है. सरकार के नियंत्रण वाली एजेंसी केसीएनए ने "प्रिय नेता किम जोंग-उन ने पर्वत की चढ़ाई की" कैप्शन के साथ आठ तस्वीरें और एक लेख भी प्रकाशित किया है. लेख में कहा गया है कि किम जोंग-उन ने पहली बर्फबारी के साथ ही सफेद घोड़े पर सवारी करते हुए माउंट पैक्टू की चढ़ाई की.
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लेख में इस घटना को कोरियाई इतिहास में काफी महत्वपूर्ण घटना के रूप में बताया गया है और ये भी बताया गया है कि अपनी इस यात्रा के दौरान उनके नेता ने अपने देश को सबसे शक्तिशाली देश बनाने के अपने मकसद के दौरान के कठिन संघर्ष को याद किया और साथ ही उस मकसद के प्रति वैसी ही दृढ़ता की याद दिलाई जैसी माउंट पैक्टू की है. किम के साथ कोरिया की नेशनल लेबर पार्टी की केंद्रीय समिति के अधिकारी भी थे. माउंट पैक्टू कोरिया की पहचान में अपना विशेष स्थान रखता है और मौजूदा शासक किम जोंग-उन के पिता की जन्मस्थली भी माना जाता है.
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एफे न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक जानकारों ने इस मशहूर पर्वत पर किम की इससे पहले हुई तीनों यात्राओं की ओर भी ध्यान दिलाया जो उन्होंने अकेले तय की थी और उन यात्राओं के ठीक बाद महत्वपूर्ण फैसले हुए थे. किम की इससे पहले की यात्रा दिसंबर, 2017 में हुई थी जिसके ठीक बाद उत्तर कोरिया ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के साथ अपने राजनयिक संबंधों में बदलाव किया था. फरवरी, 2013 में किम ने जो यात्रा की थी, उसके बाद पूर्व शासक और किम के पिता किम योंग-इल की मृत्यु के बाद तीन साल का शोक समाप्त हुआ था. नवंबर, 2014 में हुई उनकी यात्रा के बाद शासन में नंबर दो की हैसियत वाले यांग सॉन्ग-थेक को मृत्युदंड दिया गया था.
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यात्रा के दौरान किम ने अपने देश पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों की आलोचना की और ये ऐसे समय पर की जबकि परमाणु निशस्त्रीकरण पर प्योंगयांग और वाशिंगटन के बीच चल रही वार्ता में पहले ही ठहराव आ चुका है. किम की ये यात्रा ऐसे समय हुई जब अमेरिका के साथ वार्ता लगभग बंद हो चुकी है. उत्तर कोरिया ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने निशस्त्रीकरण पर अपने रुख में बदलाव नहीं किया. उसका आरोप है कि स्टॉकहोम में हुई बैठक के बाद उत्तर कोरिया के सामने पहल करने की मांग तो रख दी, लेकिन अमेरिका ने न तो प्रतिबंधों में राहत दी और न ही सुरक्षा की गारंटी. इसके साथ ही उत्तर कोरिया ने फिलहाल ये भी मान लिया है कि वार्ता ठप हो चुकी है और उसने यह भी कहा है कि स्वीडन की राजधानी में अमेरिका की ओर से प्रस्तावित बैठकों में शामिल होने का उसका अब कोई इरादा नहीं है.