'फानी' तूफान: NDRF और अन्य टीमों के प्रयासों से इस तरह से बची हजारों लोगों की जान

'फानी' तूफान की गंभीरता को देखते हुए मौत का आंकड़ा बहुत कम है क्योंकि साल 1999 में ऐसा ही एक और भयंकर तूफान ओडिशा में आया था तब वहां पर 10 हजार से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवांई थी.

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Ravindra Singh
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'फानी' तूफान: NDRF और अन्य टीमों के प्रयासों से इस तरह से बची हजारों लोगों की जान
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3 मई दिन शुक्रवार का दिन ओडिशा के लिए ऐतिहासिक दिन बना क्योंकि इस दिन ओडिशा ने खतरनाक 'फानी' तूफान का बहादुरी से सामना किया. नई चेतावनी प्रणाली और पहले से की गई युद्ध स्तर की तैयारियों ने हजारों लोगों की जान बचाई सरकारी अधिकारियों ने इस तूफान से महज 6 लोगों के मरने की खबर बताई जबकि मीडिया ने बताया कि 8 लोगों की जान इस तूफान में गई है. 'फानी' तूफान की गंभीरता को देखते हुए मौत का आंकड़ा बहुत कम है क्योंकि साल 1999 में ऐसा ही एक और भयंकर तूफान ओडिशा में आया था तब वहां पर 10 हजार से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवांई थी. ऐसा भारतीय मौसम विज्ञान (IMD) की सतर्कता, केन्द्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल और बड़ी राहत और बचाव दल (NDRF) टीम के होने के कारण संभव हो पाया.

'फानी' तूफान ने बहुत भारी नुकसान से भी बचाया
ऐसा भी नहीं था कि तूफान की गिरफ्त में आने वाले इलाके में सबकुछ सकुशल ही रहा हो. ओडिशा के पुरी जिले में कच्चे घरों को भारी नुकसान हुआ है. 'फानी' तूफान की वजह से 160 लोग इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती किए गए हैं. इस तूफान ने पुरी के डीएम और एसपी के आवास भी क्षतिग्रस्त कर दिया है. तूफान आने से पहले ही बिजली की सप्लाई काट दी गई थी ताकि कोई अनहोनी (करंट लगना या फिर आग लग जाना जैसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके) जिसके चलते वहां बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित रही, लेकिन IMD के नए क्षेत्रीय तूफान मॉडल ने 'फानी' तूफान को भारी नुकसान को रोकने में मदद की. साथ ही इस सिस्टम ने यह भी दिखाया कि साल 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद से मौजूदा समय तक लैंडफॉल पर नजर रखने और पूर्वानुमान लगाने में हमने कितनी तरक्की कर ली.

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'फैलिन' और 'हुदहुद' तूफान में एजेंसियों ने पहली बार दिखाई थी मुस्तैदी
अक्टूबर 2013 में आए 'फैलिन' और अक्टूबर 2014 में आए 'हुदहुद' तूफान के सफल अभियानों के बाद केंद्रीय एजेंसियां और राज्य सरकारें बड़े पैमाने पर राहत और बचाव प्रबंधन में काफी ज्यादा सक्षम हो गई थीं लेकिन 'फानी' तूफान से राहत और बचाव का अभियान काबिले तारीफ रहा. 'फानी' तूफान के आने से पहले ही एजेंसियां लगातार चेतावनी दे रहीं थी जिसकी वजह समुद्र के किनारे और तूफान के रास्ते में आने वाली जगहों पर रहने वाले लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा आसानी से बचाया जा सका.

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'फानी' तूफान से पहले ही सक्रिय हो गए थे राहत एवं बचाव दल
'फानी' तूफान आने से पहले ओडिशा में स्थानीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और NDRF की टीमें सक्रिय हो गई थीं. NDRF ने 'फानी' तूफान से निपटने की लिए 65 टीमें उतारी थीं, जिसमें प्रति टीम 45 लोग थे. आपको बता दें कि यह अब तक किसी भी रेस्क्यू ऑपरेशन की सबसे बड़ी तैनाती है. पिछले तीन दिनों में ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से लगभग 11.5 लाख से अधिक लोगों को 'फानी' के प्रकोप से सुरक्षित निकाला गया. वहीं कानून व्यवस्था, भोजन और सड़कें दुरुस्त करने के लिए अतिरिक्त टीमें लगाई गई हैं.

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IMD के महानिदेशक के जे रमेश को बधाई
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) के सेक्रेटरी माधवन राजीवन ने मीडिया को बताया, 'यह IMD के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इस बड़े संकट से निपटने के लिए हमने इसके महानिदेशक के जे रमेश को बधाई दी है. विभाग ने अन्य मौजूदा मॉडलों के अलावा अपने क्षेत्रीय तूफान मॉडल (Reisonal Hurricane Module) का सफलतापूर्वक उपयोग किया है.'

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'फानी' तूफान से निपटने के लिए ऐसी थी तैयारी
ओडिशा में आए तूफान 'फानी' से निपटने के लिए वहां पर युद्धस्तर पर तैयारी की गई थी. नौसेना ने राहत एवं बचाव के लिए 6 जहाजों को तैनात किया था. भारतीय वायुसेना ने 2 C -17, 2 C -130 और 4 AN-32 को स्टैंडबाय पर रखा था. गोपालपुर में सेना की तीन टुकड़ी स्टैंडबाय पर थी और पनागर में इंजीनियरिंग टास्क फोर्स थी. इसी तरह कोलकाता, बैरकपुर, सिकंदराबाद और कांकिनारा में भी सेना तैयार थी जबकि मेडिकल और डाइविंग टीम अलर्ट पर थीं.

Source : News Nation Bureau

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