सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) के विकल्प की राज्य सभा चुनाव में अनुमति से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि नोटा की अनुमति राज्य सभा चुनाव में नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह पूरी तरह से लोकतंत्र की शुचिता को कमजोर करेगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, "प्रत्यक्ष चुनाव में नोटा का विकल्प सही है, लेकिन राज्य परिषद के चुनाव के संबंध में यह अलग है। यह पूरी तरह लोकतंत्र की शुचिता को कमजोर करेगा और भ्रष्टाचार व दलबदल को बढ़ावा देगा।"
चुनाव आयोग द्वारा राज्य सभा चुनाव में नोटा की शुरुआत के लिए जारी की गई अधिसूचना को रद्द करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, "अप्रत्यक्ष चुनाव में नोटा की शुरुआत पहली नजर में अक्लमंदी भरा लग सकता है, लेकिन बारीकी से जांच करने पर इस तरह के चुनाव में यह पूरी तरह एक मतदाता की भूमिका की उपेक्षा करता है और लोकतांत्रिक मूल्यों को पूरी तरह से नष्ट करता है।"
अदालत ने कहा, "यह विचार आकर्षक लग सकता है, लेकिन इसके व्यावहारिक उपयोग अप्रत्यक्ष चुनाव में निहित निष्पक्षता को निष्फल करते हैं।"
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याद रखना होगा कि लोकतंत्र अपनी मजबूती नागरिकों के विश्वास से हासिल करता है, जो कि सिर्फ शुद्धता, अखंडता, सच्चाई व न्याय के मूलभूत स्तंभों पर कायम है और इन केंद्रों को सिर्फ चुनाव प्रक्रिया की शुचिता बनाए रख कर बरकरार रखा जा सकता है।
Source : IANS