उत्तर प्रदेश के मथुरा में बन रहे 70 मंजिला इस्कॉन मंदिर के निर्माण पर रोक लगाने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने धर्मिक सोसाइटी और सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी (सीजीडब्लूए) से जवाब मांगा है।
याचिका में कहा गया है कि यमुना के किनारे इस्कॉन द्वारा बनवाये जा रहे 'वृंदावन चंद्रोदय मंदिर' का निर्माण उस इलाके के पानी का स्तर और पर्यावरण पर बुरा असर डालेगा।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने इंटरनेशनल सोसाइटी फार कंससनेस (इस्कॉन) और सीजीडब्लूए को नोटिस जारी कर 31 जुलाई से पहले जवाब मांगा है।
पर्यावरण कार्यकर्ता मणिकेश चतुर्वेदी की याचिका में दुनिया में सबसे लंबा मंदिर के निर्माण को रोकने के निर्देशों की मांग की।
याचिका में कहा गया है ' प्रस्तावित मंदिर में संरचना की सीमा के चारों ओर कृत्रिम जल निकाय होगा। यह पानी जमीन से निकाला जाना है जिसके परिणामस्वरूप यमुना नदी के अस्तित्व की सीमा तक पानी के स्तर में कमी आ सकती है।'
ऐसा दावा किया जाता है कि पूरा होने पर, वृंदावन चंद्रोदय मंदिर दुनिया का सबसे लंबा धार्मिक स्मारक होगा। 300 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने के लिए, यह इस्कॉन बैंगलोर द्वारा दुनिया के सबसे बड़े पैमाने पर निर्मित मंदिरों में से एक होगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार मंदिर 5,40,000 वर्ग फीट के एक निर्मित क्षेत्र के साथ 700 फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाएगा।
यह परियोजना 62 एकड़ भूमि में स्थापित है और इसमें 12 एकड़ और एक हेलीपैड में पार्किंग शामिल होगी।
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Source : News Nation Bureau