सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूजास्थल कानून-1991 के खिलाफ याचिका स्वीकार कर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने पर विश्व हिंदू परिषद ने खुशी जताई है. विश्व हिंदू परिषद(विहिप) के संयुक्त संगठन मंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा है कि कांग्रेस सरकार में बने पूजा स्थल कानून को चुनौती मिलने से देश में गुलामी के प्रतीकों के हटने की आस जगी है. इससे मथुरा, काशी को लेकर आंदोलन करने में मदद मिलेगी. दरअसल, भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कांग्रेस सरकार की ओर से वर्ष 1991 में बनाए गए पूजास्थल कानून- 1991 को चुनौती दी थी. उन्होंने पूजास्थल कानून को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा था कि केंद्र सरकार कानून बनाकर हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख समुदाय के लिए कोर्ट का दरवाजा बंद नहीं कर सकती है.
उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका में पूजा स्थल कानून की धारा 2, 3 व 4 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26 और 29 का उल्लंघन घोषित करते हुए रद्द करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इन प्रावधानों में क्रूर आक्रमणकारियों की ओर से गैरकानूनी रूप से स्थापित किए गए पूजा स्थलों को कानूनी मान्यता दी गई है. अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस को बताया कि तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार ने 11 जुलाई 1991 को इस कानून को लागू किया और मनमाने और कट ऑफ डेट तय करते हुए घोषित कर दिया कि पूजा स्थलों व तीर्थ स्थलों की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 को थी, वही रहेगी. उपाध्याय के मुताबिक, केंद्र न तो कानून को पूर्व तारीख से लागू कर सकता है और न ही लोगों को जुडिशल रेमेडी से वंचित कर सकता है.
अश्विनी उपाध्याय की याचिका को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर केंद्र सरकार को जवाब के लिए नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का स्वागत करते हुए विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त संगठन महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा, "अत्यंत हर्ष का विषय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने यथास्थिति धर्म स्थल विधेयक को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है. 15 अगस्त 1947 से पहले क्या हुआ था, सबको मालुम है. विदेशियों ने मंदिर तोड़ मस्जिद बनाए. गुलामी के प्रतीकों को हटना ही चाहिए."
डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि, "जम्मू-कश्मीर में सैकड़ों मंदिर तोड़ दिए गए. कांग्रेस की सरकारों ने एक भी मंदिर का जीर्णोद्धार करने का प्रयास नहीं किया. भावी पीढ़ियां आंदोलन न कर सकें, इसीलिए यह अधिनियम बनाया था. पैरों की बेड़ियां बनने वाले ऐसे कानून को स्वीकार नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किया है. देश में दास्तां के प्रतीकों को हटाने में यह कदम सहयोगी सिद्ध होगा."
HIGHLIGHTS
- पूजास्थल कानून-1991 के खिलाफ याचिका स्वीकार कर केंद्र सरकार को नोटिस जारी.
- सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर केंद्र सरकार को जवाब के लिए नोटिस जारी किया है.
- बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की हैं याचिका.