मोदी सरकार (Modi Government) स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी के गुमनाम नायकों को सम्मानित करने की योजना बना रही है. इसके लिए उसने राज्यों से सलाह-मशविरा कर 146 नामों की लिस्ट भी तैयार की है. इस सूची में हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) और नानाजी देशमुख (Nanaji Deshmukh) का नाम भी शामिल है. यह अलग बात है कि अब ऐसे ही चंद नामों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कुछ इतिहासकारों और कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने चुने हुए नामों पर सवाल उठाए हैं. साथ ही इनमें सुधार की मांग की है. इन लोगों को सुभाष चंद्र बोस, बिरसा मुंडा और तात्या टोपे जैसी प्रसिद्ध हस्तियों की उपस्थिति की भी आलोचना की है.
विरोधियों ने सूची को बताया असमान
इतिहासकार मृदुला मुखर्जी ने कहा कि हम सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद और बिरसा मुंडा को गुमनाम नायक नहीं कह सकते. उन्होंने सूची में तात्या टोपे, नानाजी देशमुख और रवि नारायण रेड्डी को भी शामिल किया है. दरअसल, सूची में उन लोगों के भी कुछ नाम शामिल हैं, जो 1930 के दशक में पैदा हुए और स्वतंत्रता सेनानी कहलाए. यह एक बहुत ही असमान सूची है. उन्होंने कहा कि नामों के चयन में एकरूपता नहीं है, यह बेतरतीब सूची है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के सांसद और शिक्षा की स्थायी समिति के प्रमुख विनय सहस्रबुद्धे ने इससे असहमति जताई है. सांसद ने कहा कि अगर आपने उनके साथ न्याय नहीं किया है, तो न्याय करने का एक समय होना चाहिए. चाहे वह सुभाष चंद्र बोस हों या कोई अन्य, उन्हें वह श्रेय नहीं मिला जिसके वे हकदार हैं.
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कांग्रेस ने भी कसा तंज
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘मजे की बात यह है कि जिन लोगों का स्वतंत्रता आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है और लगातार महात्मा गांधी और उनके लेफ्टिनेंट्स पर हमला करते रहे हैं, वे आज आजादी के अमृत महोत्सव की महिमा का मजा उठा रहे हैं.’ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत ये नाम सरकारी विभागों और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च की तरफ से अलग-अलग तैयार किए गए हैं. आईसीएचआर ने हमारे गुमनाम नायकों के जीवन और उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए एक त्रि-स्तरीय कार्यक्रम की योजना बनाई है.
HIGHLIGHTS
- मोदी सरकार कर रही है आजादी के गुमनाम नायकों का सम्मान
- कांग्रेस के जयराम रमेश ने सूची के कुछ नामों पर कसा तंज
- कुछ इतिहासकारों ने नानाजी देशमुख और हिंदू महासभा पर जताई आपत्ति