केंद्र ने निर्णय लिया है कि अब भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की तस्वीरें उनके गुनाह के साथ थानों के नोटिस बोर्ड पर लगाई जाएंगी. इसके अलावा यह प्रदर्शन सिर्फ पुलिस थानों तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि अधिकारी इसे सोशल मीडिया पर भी साझा करेंगे. यह निर्णय सरकार की 'पुलिस छवि और सार्वजनिक संपर्क' की पहल के हिस्से के रूप में लिया गया है. सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि यह निर्णय सिर्फ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों तक सीमित नहीं रहेगा. भ्रष्ट वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की तस्वीरों को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा.
सूत्र ने यह भी कहा कि सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पकड़ने के लिए पुलिस बलों को अपनी आंतरिक सतर्कता इकाई को मजबूत करना होगा. एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा कि विकट जनशक्ति की कमी, कर्तव्य की थकान और कर्तव्य से भागना पुलिसकर्मियों के बीच भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है. पहल के अनुसार, सरकार ने सभी पुलिस प्रमुखों को सोशल मीडिया कंटेंट का विश्लेषण करने और पुलिस पहुंच को बढ़ाने के लिए इन-हाउस टीम बनाने के लिए भी कहा है. निर्देश में कहा गया है, 'ट्वीट्स और रीट्वीट, सोशल मीडिया पोस्ट और चचार्ओं को वर्तमान/आगामी मुद्दों के विशिष्ट संदर्भ के साथ धारणा और मनोदशा को समझने के लिए वैज्ञानिक रूप से विश्लेषण किया जाता है.'
निर्देश में कहा गया है कि हिंदी और अंग्रेजी के साथ स्थानीय भाषा का उपयोग सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक पहुंच के लिए, सामग्री के प्रसार के लिए किया जाए. यह भी कहा गया कि पुलिस की दृश्यता को बढ़ाने के लिए छोटे वदीर्धारी पुलिस फुट गश्ती दल का इस्तेमाल किया जाए और पुलिस की छवि को सुधारने के लिए इनकी तस्वीरों और वीडियो का प्रसार किया जाए. निर्देश में आगे कहा गया है कि पुलिस की संवेदनशीलता दिखाने वाले वीडियो और तस्वीरों को व्यापक रूप से सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साझा किया जाना चाहिए.
Source : IANS/News Nation Bureau