अब दुष्कर्म-हत्या के मामलों में सजा को नहीं टाल सकेंगे दोषी, जल्द न्याय के लिए 'दिशा प्रस्तावों' पर विचार

author-image
Nihar Saxena
New Update
अब दुष्कर्म-हत्या के मामलों में सजा को नहीं टाल सकेंगे दोषी, जल्द न्याय के लिए 'दिशा प्रस्तावों' पर विचार

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

Advertisment

कानून मंत्रालय (Law Minister) बर्बर और जघन्य अपराधों (Heinous crime)के मामलों में दिशा के परिजनों के अनुरोध पर शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के एक प्रस्ताव पर गौर कर रहा है. हैदराबाद निवासी दिशा की पिछले साल 27 नवंबर को सामूहिक दुष्कर्म (Gang Rape) कर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद दिशा (Disha Case) के परिजनों ने महिलाओं के खिलाफ क्रूरतम अपराधों से निपटने के लिए कानूनों में बदलाव की मांग की थी और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री पोस्ट करने वालों को दंडित करने का भी सुझाव दिया था. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने दिशा के शोक संतप्त माता-पिता द्वारा सुझाए गए बिंदुओं पर विचार के लिए कानून मंत्रालय को लिखा है.

यह भी पढ़ेंः राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों की PM मोदी से शाम 5.30 बजे बैठक, होगी अहम घोषणा

कानून मंत्री को भेजी गई संस्तुतियां
कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद को संबोधित अपने पत्र में रेड्डी ने लिखा, 'याचिकाकर्ताओं (दिशा के परिजन) ने जघन्य अपराधों के मामलों में न्याय सुनिश्चित करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. मैंने अपने मंत्रालय में संबंधित अधिकारियों से सावधानीपूर्वक इनकी जांच करने के लिए कहा है.' सूत्रों ने बताया कि गृह राज्य मंत्री ने कानून मंत्री से बर्बर अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सुझावों पर गौर करने का अनुरोध किया था. पिछले हफ्ते 13 फरवरी को रेड्डी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कानून मंत्रालय अब कानूनी दृष्टिकोण से विभिन्न बिंदुओं की जांच कर रहा है.

यह भी पढ़ेंः CAA-NPR पर उद्धव सरकार में तकरार, सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे अशोक चव्हाण

निर्भया के दोषियों की सजा में देरी बनी सबब
गृह मंत्रालय को दिए अपने दो पन्नों के प्रस्ताव में दिशा के परिजनों ने निर्भया दुष्कर्म मामले में सजा के निष्पादन में देरी का हवाला दिया है. न्याय तुरंत सुनिश्चित करने के लिए परिजनों ने विशेष जांच अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित नियमों में संशोधन करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही परिजनों ने संबंधित अधिकारी द्वारा उक्त मामले में आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर किए जाने तक उसे कोई अन्य काम नहीं सौंपे जाने का सुझाव दिया है. उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि जब तक कोई मामला गवाहों के बयान सहित जरूरी तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाता, तब तक आरोपियों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

यह भी पढ़ेंः इस शहर में जमीन के नीचे दबा है 3,000 टन सोना, जल्‍द शुरू होगी खुदाई

365 दिनों में मामला निपटाया जाए
इसके अलावा परिजनों ने सुझाव दिया कि दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में पूरे मामले को 365 दिनों के अंदर निपटाया जाना चाहिए. पत्र में कहा गया है, 365 दिनों की समयावधि का मतलब है कि प्राथमिकी दर्ज करने की तारीख से लेकर फांसी तक, निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की सभी न्यायिक प्रक्रियाएं, जिनमें राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भी शामिल है, को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए. गौरतलब है कि निर्भया के दोषी कानूनी पेंच-ओ-खम का फायदा उठाकर फांसी के फंदे से अब तक बचे हुए हैं. राष्ट्रपति भी इस बारे में कह चुके हैं कि ऐसे मामलों में दया याचिका की प्रक्रिया ही खत्म कर देनी चाहिए.

HIGHLIGHTS

  • दुष्कर्म-हत्या जैसे जघन्य अपराधों में मामले को 365 दिनों में निपटाया जाए.
  • प्राथमिकी की तारीख से लेकर फांसी तक, निचली से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सभी प्रक्रियाएं.
  • तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने तक आरोपियों को जमानत नहीं देने की भी मांग.
Nirbhaya Case law minister Hyderabad Gangrape and Murder Disha Recommendations Ravi Shanker Prasad
Advertisment
Advertisment
Advertisment