बीते साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने महत्वाकांक्षी 'मिशन कर्मयोगी' परियोजना घोषित की थी. इसी कड़ी में अब मोदी सरकार देश की नौकरशाही (Bureaucracy) की क्षमता सुधारने के लिए एक प्रमुख एचआर कंसल्टेंसी फर्म को जिम्मा सौंपना चाहती है. इसकी शुरुआत के लिए सलाहकार को भारत सरकार के सात प्रमुख मंत्रालयों या विभागों के संगठनात्मक ढांचे और कार्य आवंटन दस्तावेजों का अध्ययन करने के लिए कहा जाएगा. इसमें वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना मंत्रालय प्रौद्योगिकी, ग्रामीण विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, एनएचएआई, पर्यावरण और वन मंत्रालय और डीओपीटी शामिल हैं.
जारी किया गया अनुरोध प्रस्ताव
आदेश से जुड़े दस्तावेजों के अनुसार, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अभ्यास के लिए मानव संसाधन परामर्श और योग्यता विकास में व्यापक अनुभव के साथ एक निजी सलाहकार को काम पर रखने के लिए दो दिन पहले प्रस्ताव का अनुरोध जारी किया गया है. सलाहकार का काम केंद्र सरकार के लिए एक एफआरएसी (भूमिकाओं, गतिविधियों और दक्षताओं का ढांचा) का ढांचा विकसित करना है, जिससे हिसाब से भविष्य के लिए सिविल सेवा को ढाला जाएगा, जो बड़े सामाजिक और आर्थिक बदलाव का जरिया है. इस कदम की जानकारी देने वाले दस्तावेज में कहा गया है, 'भारत में एक इंटरनेट और आईटी की जानकारी रखने वाले वर्कफोर्स को तैयार किए जाने की जरूरत है, जो दुनिया के लिए अद्वितीय हो और जैसा प्रयास पहले कभी नहीं हुआ हो.'
मोदी सरकार का यह है विचार
इसके पीछे विचार यह है कि प्रत्येक सरकारी पद की भूमिकाएं और उससे जुड़ी गतिविधियां अलग-अलग होती हैं और हर गतिविधि को पूरा करने के लिए अलग-अलग दक्षता की जरूरत होती है. दस्तावेज़ में कहा गया है, 'एफआरएसी व्यावहारिक विशेषताओं, कार्यात्मक कौशल और डोमेन ज्ञान में अपनी वांछित दक्षताओं के साथ प्रत्येक सरकारी स्थिति के अनुरूप भूमिकाओं और गतिविधियों को तय करेगा. प्रत्येक योग्यता में दक्षता के कई स्तर होंगे, जो एक स्तर से दूसरे स्तर तक क्रमिक प्रगति को दर्शाने वाले चरणबद्ध तरीके से व्यवस्थित होंगे. इसमें अधिकारियों को नई स्किल्स हासिल करना और अपने करियर में प्रगति के साथ खुद का विकास करना भी शामिल होगा.'
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गुण-दोष लाएगा सामने
दस्तावेज के मुताबिक 'एफआरएसी के माध्यम से, अधिकारियों को सरकार में उनके वर्तमान या भविष्य के पदों के संबंध में अपेक्षित परिणामों से जुड़ी आवश्यक भूमिकाओं, गतिविधियों और दक्षताओं के बारे में जानकारी होगी. यह परीक्षण यह आकलन करने में भी सक्षम होगा कि किसी पद पर रहने वाले व्यक्ति में ये क्षमताएं किस हद तक हैं और इसके साथ ही यह उन कमियों के बारे में भी बताएगा जिन पर काम किए जाने की जरूरत है. मोटे तौर पर ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का यह काम एक ऑनलाइन शिक्षण मंच आईगॉट कर्मयोगी के जरिए किया जाएगा, जो एफआरएसी से संबद्ध है. इसमें कहा गया है कि चूंकि भारत बड़े परिवर्तन की कगार पर है, देश को भारतीय जनता (जिसमें काफी युवा आबादी शामिल है) की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जीडीपी विकास की उच्च दर को प्राप्त करने और बनाए रखने की आवश्यकता है और सिविल सेवा उसके सुधार एक महत्वपूर्ण कदम है.
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सलाहकार की यह रहेगी भूमिका
हायर किया गया सलाहकार सरकार को सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंधन संस्थान में एक एफआरएसी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने और संचालित करने और एफआरएसी के लिए रणनीति और संचालन प्रक्रियाओं को विकसित करने में मदद करेगा. इसमें वैश्विक प्रथाओं का मूल्यांकन, स्थानीय संदर्भ में परिकल्पना का परीक्षण, केंद्रित समूह चर्चा, विचारकों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ कार्यशालाएं और विभिन्न विभागों में संगठन संरचनाओं और कार्य आवंटन दस्तावेजों का अध्ययन शामिल होगा.
HIGHLIGHTS
- मोदी सरकार का नौकरशाही की सेवा सुधारने को बड़ा प्रयास
- एचआर कंसल्टेंसी फर्म बताएगी काम करने का सही तरीका
- 7 मंत्रालयों-विभागों के अध्ययन से होगी इसकी शुरुआत