केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने पश्चिम बंगाल की सरकार को पत्र लिखकर वहां के मजदूरों को लेकर चिंता जताई है. लेटर में कहा गया कि बाकी राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिक (Migrant Workers) भी अपने गृह राज्य में जाने के लिए व्याकुल हैं और उनके जाने की व्यवस्था भी केंद्र सरकार द्वारा की गई है पर मुझे दुख है कि बंगाल सरकार से हमें इस में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है. पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को दूसरे राज्यों से लेकर बंगाल पहुँचाने वाली श्रमिक रेलगाडि़यों (Shramik Special Trains) को राज्य सरकार द्वारा अनुमति नहीं प्रदान की जा रही है. ऐसा करना पश्चिम बंगाल के श्रमिकों के साथ अन्यायपूर्ण होगा. यह पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को कठिन परिस्थिति में धकेल सकता है. केंद्र सरकार द्वारा अभी तक रेलगाडियों के माध्यम से दो लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को अपने गृह राज्यों में पहुँचाया जा चुका है.
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इससे पहले केंद्र सरकार की टीम के पश्चिम बंगाल के दौरे को लेकर मोदी सरकार और ममता बनर्जी की सरकार आमने सामने आ गई थी. पहले तो ममता टीम के राज्य में दौरा करने की ही अनुमति नहीं दी, लेकिन बाद में मामला तूल पकड़ा और मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया तब जाकर ममता सरकार ने टीम को राज्य में दौरा करने की अनुमति दी थी. उसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यक समुदाय का खुल्लम खुल्ला तुष्टीकरण करने का आरोप लगाया.
राज्यपाल ओपी धनखड़ ने कहा था, मुख्यमंत्री का गुस्सा राज्य में कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में ‘बड़ी विफलताओं’ पर पर्दा डालने की एक रणनीति है. टीएमसी सुप्रीमो से ‘राजनीति और टकराव का रुख खत्म’ करने का अनुरोध करते हुए धनखड़ ने कहा कि उनका व्यवहार राज्य के लोगों की परेशानियों को केवल बढ़ा रहा है.
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राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा, आपका पत्र इस चुनौतीपूर्ण समय में भयंकर गलतियां करने से जो भारी विफलता सामने आयी है, उस पर बहानेबाजी की रणनीति के जरिए परदा डालने के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है.
Source : Dhirendra Pundir