केंद्र सरकार (Modi Government) ने इस मानसून सत्र में संसद (Parliament) में पारित होने के लिए 32 विधेयकों को सूचीबद्ध किया, लेकिन जीएसटी की बढ़ी हुई दरों और महंगाई दर के मुद्दे पर विपक्ष के साथ आमना-सामना होने के चलते कामकाज पूरे होने के संकेत कम हैं. अब तक के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा ने लगभग 16 घंटे और राज्य सभा ने 11 घंटे काम किया है. निर्धारित समय के अनुसार दोनों सदन हर दिन छह घंटे काम करेंगे. भाजपा और विपक्ष के आमने-सामने होने के चलते 4 लोकसभा सदस्यों और 23 राज्यसभा सदस्यों को निलंबित कर दिया गया है. हंगामे के बीच सरकार ने डोपिंग रोधी विधेयक और फैमिली कोर्ट बिल को लोकसभा (Lok Sabha) में मंजूरी दे दी. विपक्षी दलों को यह लग रहा है कि वो महंगाई और खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी (GST) पर चर्चा करा कर, सदन के जरिए सरकार को जनता के बीच बेनकाब कर सकते हैं, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर डिफेंसिव होने की बजाय अब आक्रामक अंदाज में बैटिंग करने की तैयारी कर रही है. अब सरकारी सूत्रों का कहना है कि वे मूल्य वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्ष झुकने को तैयार नहीं है, जिसके चलते सदनों का कामकाज सुचारू रूप से चलने की संभावना बेहद कम है. महंगाई (Inflation) के खिलाफ कांग्रेस ने 5 अगस्त को देशव्यापी विरोध का आह्वान किया है. सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि वह चर्चा के लिए तैयार है. विपक्षी दलों के नेता अपने सवालों की लिस्ट के साथ सरकार पर हावी होने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं भाजपा और सरकार के मंत्री महंगाई और खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी को लेकर विपक्षी दलों (Opposition) से ही सवाल पूछने की तैयारी कर रहे हैं.
जीएसटी, महंगाई पर विपक्ष के घेरेगी मोदी सरकार
सरकार के एक बड़े मंत्री ने बताया कि महंगाई और खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी के मुद्दे पर विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है. उनके राज्य सरकारों के मंत्री जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी लगाने के प्रस्ताव को समर्थन करते हैं और बाहर ये राजनीतिक दल विरोध करने का नाटक करते हैं. उन्होने कहा कि सदन में अगर इस मुद्दे पर चर्चा होती है तो जनता के सामने विपक्ष का पदार्फाश हो जाएगा. भाजपा के पास सवालों की एक लंबी लिस्ट तैयार है जो सदन में चर्चा के दौरान उनके सांसद और जवाब देने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी विपक्षी दलों से पूछती नजर आएंगी. सरकार महंगाई के मुद्दे पर सबसे ज्यादा हंगामा करने वाले राजनीतिक दलों कांग्रेस, टीएमसी, टीआरएस, डीएमके, आप और लेफ्ट से यह पूछेगी कि उनकी राज्य सरकारों ने आम जनता को महंगाई से राहत देने के लिए अब तक क्या किया? उनकी राज्य सरकारों ने एनडीए सरकारों की तर्ज पर आम जनता को महंगाई की मार से राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल पर वैट की दर को क्यों नहीं घटाया? खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी को लेकर मचे राजनीतिक बवाल पर भी सरकार विपक्षी दलों से यह पूछने की तैयारी कर रही है कि बाहर इस मसले पर हंगामा करने वाले कांग्रेस, टीएमसी, टीआरएस, डीएमके, आम आदमी पार्टी और लेफ्ट की राज्य सरकारों के मंत्रियों ने जीएसटी काउंसिल में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से कैसे पारित होने दिया? आखिर विपक्ष यह किस तरह की राजनीति कर रहा है कि जिस प्रस्ताव को उनके मंत्री सर्वसम्मति से जीएसटी काउंसिल की बैठक में पारित करते हैं, उसी प्रस्ताव पर विपक्षी दल सदन में लगातार हंगामा कर रहे हैं और सदन की कार्यवाही चलने नहीं दे रहे हैं?
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वैश्विक परिदृश्य से तुलनात्मक अध्ययन कर विपक्ष को करेंगे बेनकाब
यूपीए सरकार के दौरान महंगाई की दर का हवाला देते हुए सरकार सदन में चर्चा के दौरान यह पक्ष भी रखेगी कि वैश्विक संकट के बावजूद मोदी सरकार की कोशिशों की वजह से ही भारत में महंगाई की दर औसतन 4-6 प्रतिशत के बीच बनी हुई है. दुनिया के विकसित देशों के साथ भारत की तुलना करते हुए यह तथ्य भी रखा जाएगा कि जहां अमेरिका और यूरोपीय देशों में महंगाई की दर एक-डेढ़ प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत तक पहुंच गई है वहीं मोदी सरकार की कोशिशों की वजह से भारत में इसकी दर औसतन 4-6 प्रतिशत के बीच बनी हुई है. तमाम कठिनाइयों और वैश्विक समस्याओं के बावजूद भारत में महंगाई की दर 7 प्रतिशत के आसपास है जो विदेशों की तुलना में बहुत कम है. दरअसल, सदन में दो सप्ताह तक मचे हंगामे के बाद महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने को लेकर सहमति बन गई है. सोमवार को लोक सभा में महंगाई के मसले पर नियम-193 के तहत चर्चा हो सकती है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और शिवसेना सांसद विनायक राउत की ओर से महंगाई के मुद्दे पर नियम - 193 के तहत चर्चा कराने को लेकर नोटिस दिया गया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. विपक्षी दल इस चर्चा के बहाने सरकार को घेरने की कोशिश करना चाहते हैं लेकिन नई तरह की राजनीति कर विपक्षी दलों को चौंकाने में माहिर भाजपा अब महंगाई के मसले पर सवालों की झड़ी लगाकर विपक्षी दलों को ही बेनकाब करने की रणनीति पर काम कर रही है.
HIGHLIGHTS
- मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में लगभग 16 घंटे और राज्य सभा में 11 घंटे काम किया
- अब सरकार मुद्दों पर डिफेंसिव होने की बजाय आक्रामक अंदाज में बैटिंग करने के मूड में