नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी का मामला अब 57 सदस्यीय संगठन मुस्लिम इस्लामिक सहयोग संगठन तक पहुंच गया है. कतर, इरान, पाकिस्तान के बाद ओआईसी ने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से कहा है कि वह भारत में निशाना बनाए जा रहे मुसलमानों के लिए कुछ कदम उठाएं. हालांकि भारत ने इस पर नाराजगी जता प्रतिक्रिया को भ्रामक और शरारतपूर्ण बताया है. भारत ने सोमवार को देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के लिए इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) की आलोचना की और टिप्पणी को 'अनुचित और संकीर्ण सोच' वाला बताया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा, 'हमने इस्लामी सहयोग संगठन (आईओसी) के महासचिव की ओर से भारत को लेकर दिए गए बयान को देखा है. भारत सरकार आईओसी सचिवालय की अनुचित और संकीर्ण सोच वाली टिप्पणियों को स्पष्ट रूप से खारिज करती है.' बयान के अनुसार, 'भारत सरकार सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है. एक धार्मिक व्यक्तित्व को बदनाम करने वाले आपत्तिजनक ट्वीट और टिप्पणियां कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई थीं. वे किसी भी तरह से, भारत सरकार के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं. संबंधित निकायों की ओर से इन व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है.'
बयान के अनुसार, यह खेदजनक है कि ओआईसी सचिवालय ने फिर से 'प्रेरित, भ्रामक और शरारतपूर्ण टिप्पणी' की है. यह केवल निहित स्वार्थों के इशारे पर अपनाए जा रहे विभाजनकारी एजेंडे को उजागर करता है. बयान में कहा गया है, 'हम ओआईसी सचिवालय से उनके सांप्रदायिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने से रोकने और सभी धर्मों के प्रति उचित सम्मान दिखाने का आग्रह करते हैं.' ओआईसी ने भारत की आलोचना की है और कहा है, 'ये अपशब्द भारत में इस्लाम के प्रति घृणा और मुसलमानों के खिलाफ सुव्यवस्थित कार्य और उन पर प्रतिबंधों के संदर्भ में है. विशेष रूप से कई भारतीय राज्यों में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने और मुस्लिम संपत्ति के विध्वंस के अलावा उनके खिलाफ हिंसा में वृद्धि की घटनाएं हो रही हैं.'
HIGHLIGHTS
- इस्लामिक देशों के संगठन ने उठाया भारतीय मुसलमानों का मसाल
- भारत ने कहा टिप्पणी भ्रामक और शरारतपूर्ण