सोशल मीडिया पर वायरल अपने एक इंटरव्यू में ग्रेटा टूलकिट से जुड़ी और दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम द्वारा गिरफ्तार दिशा रवि पीएम मोदी सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकालती हैं. यह अलग बात है कि रिमांड के लिए अदालत में पेश किए जाते ही वह जज के सामने फूट-फूट के रोने लगती हैं. अपनी सफाई में वह सिर्फ यही दोहराती हैं कि उन्होंने तो सिर्फ दो लाइनें ही एडिट की थीं. भ्रम और अफवाह फैलाने वाली भारत विरोधी प्रोपेगंडा मशीन यही नहीं रुकी, बल्कि दिशा की रिमांड अवधि मिलते ही यह मशीन फिर से सक्रिय हो गई. इस मशीन से जुड़े लोगों का कहना था कि दिशा को अदालत में वकील नहीं दिया गया. यह अलग बात है कि दिशा कर्नाटक से अपने किसी वकील को बुलाना चाहती थीं. दिशा के बाद ग्रेटा से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है. खासकर पुलिस को निकिता जैकब, शांतनु और एमओ धालीवाल की तलाश है.
गूगल द्वारा भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने से जुड़ी जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है. दिशा कि गिरफ्तारी के साथ ही अब पुलिस निकिता जैकब और शांतनु की तलाश में है और उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका है. दिल्ली पुलिस की दो टीमें इस वक्त मुंबई में हैं. एक टीम निकिता जैकब के घर के पास कैंपिंग कर रही है, जबकि दूसरी टीम शांतनु की तलाश में बीड जाने वाली है. शांतनु बीड का रहने वाला है.
टूलकिट मामले में सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है की पोयेटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़े एमओ धालीवाल ने निकिता जैकब से संपर्क किया. इसके लिए कनाडा में ही रहने वाले पुनीत ने मदद की. इनका मक़सद था 26 जनवरी से पहले ट्विटर पर एक बड़ी मुहिम छेड़ना. रिपब्लिक डे से पहले इन सभी की एक ज़ूम मीटिंग भी हुई थी. इसमें निकिता, धालीवाल के साथ दिशा भी शामिल हुई थी. इनका मकसद किसानों में अफवाहें फैलाना था.
पुलिस ये भी जांच कर रही है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई किसान की मौत को पुलिस की गोली से हुई मौत दिखाने के पीछे भी इन्हीं का हाथ था. 26 जनवरी की घटना के बाद अंतराष्ट्रीय हस्तियों से संपर्क किया गया. दिशा ग्रेटा को पिछले 3 सालों से जानती थी. दिल्ली पुलिस की टीम 11 तारीख को निकिता के घर गयी थी. वहां उसके कंप्यूटर और लैपटॉप की जांच की. बाद में फिर आने की बात की लेकिन तबसे निकिता पुलिस को नहीं मिली.
इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को गूगल और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से ‘टूलकिट' बनाने वालों से जुड़े ईमेल आईडी, डोमेन यूआरएल और कुछ सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी देने के लिए कहा था. जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अन्य ने यह ‘टूलकिट' ट्विटर पर साझा की थी. ‘टूल किट' में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशा-निर्देश और सामग्री होती है. दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ने के लक्ष्य से ‘टूलकिट' के ‘खालिस्तान समर्थक' निर्माताओं के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज की थी. साथ ही अज्ञात लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, राजद्रोह और अन्य आरोप में भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
Source : News Nation Bureau