अयोध्या केस में संविधान पीठ सप्ताह में पांचों दिन (सोमवार से लेकर शुक्रवार तक) सुनवाई करेगी. आमतौर पर संविधान पीठ हफ्ते में सिर्फ तीन दिन (मंगलवार, बुधवार और गुरुवार) को सुनवाई करती है. लेकिन परंपरा से हटकर सुप्रीम कोर्ट अब पांचों दिन सुनवाई करेगा. यानि अब ये उम्मीद है कि 17 नवंबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस के कार्यकाल में ही अयोध्या पर फैसला आ सकता है.
आपको बता दें कि अयोध्या मामले में आज सुनवाई का तीसरा दिन है. निर्मोही अखाड़े की ओर से के परासरन दलीलें रख रहे है. उन्होंने कहा- इसमे कोई दो राय नहीं कि विवादित जगह ही जन्मस्थान है. हिन्दू और मुस्लिम दोनों इसे मानते हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने परासरन से पूछा- क्या जन्मस्थान को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा देते हुए मामले में पक्षकार बनाया जा सकता है. हम जानते है कि मूर्ति (देवता) को कानूनन जीवित व्यक्ति का दर्जा हासिल है, लेकिन जन्मस्थान को लेकर क्या कानून है.
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परासरन ने जवाब दिया- ये तय होना अभी बाकी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ मूर्ति को कानूनन जीवित व्यक्ति का दर्जा हासिल है. जस्टिस बोबड़े ने ध्यान दिलाया कि हालिया फैसले में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया था. उन्होंने सवाल किया कि क्या नदी को भी देवता माना जा सकता है? परासरन ने कहा- हां, नदियों को भी देवी के रूप में पूजा की जाती है. सूरज भी देवता हैैं उनकी मूर्ति नहीं है लेकिन वो देवता हैं , लिहाजा उन्हें कानूनन जीवित व्यक्ति का दर्जा हासिल है. परासरन ने जवाब दिया- जहां तक हिंदुओ का सवाल है, ज़्यादातर मंदिरों में मूर्तियां है लेकिन ऐसे भी मंदिर है, जहां शिव लिंग के रूप में मौजूद है. बहरहाल कोर्ट ने के परासरन से कहा कि वो इस बिंदु पर बाद में नोट दे सकते हैं, परासरन फिर से बाकी दलीलें जारी रखेंगे.
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HIGHLIGHTS
- अयोध्या केस में नवंबर में आ सकता है फैसला
- अब अयोध्या केस में सप्ताह में 5 दिन होगी सुनवाई
- विवादित जगह को ही राम का जन्म स्थान मानते हैं