प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी बार वापसी के साथ ही अजित डोभाल की भी सरकार में वापसी हो गई है. एक बार फिर देश की आंतरिक सुरक्षा और बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी अजित डोभाल के कंधों पर आ गई है. डोभाल 30 मई 2014 से इस पद पर हैं. पीएम मोदी की तरह अजीत डोभाल का भी यह तीसरा कार्यकाल है. मोदी सरकार के साथ तीसरी पारी संभाल रहे अजित डोभाल का ये कार्यकाल दर्शाता है कि पीएम मोदी को उन पर काफी भरोसा है. आज हम इस खबर में जानेंगे कि भारत में जेम्स बॉन्ड से नाम से जाने वाले अजीत डोभाल की क्या कहानी है.
इसलिए पीएम मोदी के हैं सबसे भरोसेमंद
अजीत डोभाल ने जम्मू-कश्मीर, पूर्वी भारत के मिजोरम और पंजाब में कई आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं, जिसका रिजल्ट देश को मिला और आज पंजाब, मिजोरम जैसे इलाकों से आतंकी खत्म हो चुके हैं. आप इससे समझ सकते हैं कि एक समय में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे क्योंकि भारत का सबसे करीबी देश रूस था, लेकिन आज अजीत डोभाल ने अमेरिका के साथ रिश्ते बनाए हैं और रूस को पहले की तरह अपना सबसे बेस्ट पार्टनर बनाए रखा है. इस सुझबुझ को देखते हुए पीएम मोदी ने उन्हें देश की सुरक्षा 2014 में सौंप दी.
कश्मीर को बना दिया फ्री पत्थरबाजी प्रदेश
आज अगर कश्मीर में शांति है तो इसमें सबसे बड़ा योगदान अजीत डोभाल को जाता है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म कर दी गई, सरकार ने अजित डोभाल पर भरोसा जताया और धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में कोई आगजनी या पथराव नहीं हुआ. कश्मीर को एक शांतिपूर्ण राज्य बनाया दिया, जहां एक जमाने में पूरा प्रदेश पत्थरबाज और आतंकियों के आगोश में सोता था.
डाउन टाउन की गलियों में किए सैर
जब अनुच्छेद 370 खत्म किया गया तो अजित डोभाल खुद श्रीनगर में नजर आए. उन्हें जम्मू की सड़कों पर देखा गया. उन्होंने सुरक्षा का जायजा लिया. वह डाउनटाउन गए, जहां उन्होंने लोगों से मुलाकात भी की. अजित डोभाल ने सरकार द्वारा दिए गए इस काम को बहुत ही शानदार तरीके से निभाया. भारत सरकार के लिए ये एक बड़ी चुनौती थी, जिसे अजीत डोभाल ने बहुत आसान बना दिया.
इंदिरा गांधी के साथ भी कर चुके हैं काम
ऐसा नहीं है कि डोभाल पीएम मोदी के ही चहेते हैं. इंदिरा गांधी की सरकार में उनका अहम योगदान था. ब्लू स्टार ऑपरेशन में अजीत डोभाल सबसे बड़ी भूमिका में नजर आए थे. तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी अजीत डोभाल के काम की प्रशंसक थीं. साल 1984 में हुए ब्लू स्टार ऑपरेशन में अजीत ने ऐसा काम किया कि आज भी कोई उनकी कहानी सुनकर हैरान हो जाता है. कैसे अजीत डोभाल पाकिस्तानी जासूस बनकर अमृतसर के हरिमंदिर गए और खालिस्तानी समर्थक जनरल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से जानकारी इकट्ठा की और सेना को दी.
कूका को उग्रवादी से बना दिया MLA
आपने कूका पारे का नाम तो सुना ही होगा कि कैसे वो 250 आतंकियों के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ हो गया था. अजीत डोभाल ही वह शख्स हैं जो कूका पारे उर्फ मोहम्मद यूसुफ पारे को मुख्यधारा में लेकर आए. कूका पारे एक भारत विरोधी कश्मीरी उग्रवादी था. लेकिन डोभाल ने कूका पारे की जिंदगी बदल दी और फिर कूका ने जम्मू-कश्मीर में अवामी लीग पार्टी की नींव रखी. वो विधानसभा तक भी पहुंचा.
पाकिस्तान के लिए काल हैं डोभाल
पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने और पीओके में घुसकर पाकिस्तानी आतंकियों को मारने की योजना डोभाल की ही थी. जब पाकिस्तान को ईंट बजानी होती है तो उसके मुख्य सूत्रधार अजीत डोभाल ही होते हैं. इसलिए तो पाकिस्तान अजीत डोभाल का नाम सुनकर ही कांप जाता है. अगर पाकिस्तान के किसी भी सीनियर आर्मी ऑफिसर से अजीत डोभाल का नाम पूछ लिया जाए तो उनकी होश उड़ जाती है.
Source : News Nation Bureau