भारत 10 नवंबर को 'अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता' (Delhi regional security dialogue on Afghanistan) की मेजबानी करेगा. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, अफगानिस्तान पर इस राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता में ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान का प्रतिनिधित्व उनके संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करेंगे. इस बैठक की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) करेंगे. इससे पहले ईरान ने इसी तरह के प्रारूप में साल 2018 और 2019 में मेजबानी की थी. वहीं इस बार संवाद में सात देशों की सबसे अधिक भागीदारी होगी.
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बता दें कि भारत, अफगानिस्तान में करीब 3 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्च कर उसके पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभा चुका है. भारत के इस योगदान को तालिबान ने भी स्वीकार किया है. काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद भारत जी20 शिखर सम्मेलन हो, ब्रिक्स सभी में प्रमुखता से बोल रहा है. वहीं इस बैठक में भारत ने पाकिस्तान और चीन को भी आमंत्रित किया था. हालांकि, दोनों देशों ने अलग-अलग हवाला देते हुए इससे किनारा कर लिया है.
अधिकारियों ने कहा कि भारत के निमंत्रण पर भारी प्रतिक्रिया मिली है, यह देखते हुए कि बैठक में उच्च स्तरीय भागीदारी अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में क्षेत्रीय देशों की व्यापक और बढ़ती चिंता और एक दूसरे के साथ परामर्श और समन्वय करने की उनकी इच्छा को दशार्ती है. वहीं पाकिस्तान पर अधिकारियों का लगता है कि पाकिस्तान तो अफगानिस्तान की मौजूदा हालात के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है. पाकिस्तान कई सालों से तालिबान के नेताओं को अपना समर्थन देता रहा है.
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वहीं दूसरी तरफ भारत अति आवश्यक सहायता की आपूर्ति के लिए तैयार है लेकिन पाकिस्तान भूमि से घिरे अफगानिस्तान तक पहुंच की अनुमति नहीं दे रहा है. बता दें कि पाकिस्तान इससे पहले ईरान द्वारा आयोजित इस प्रारूप की बैठक में भी शामिल नहीं हुआ था. 10 नवंबर को होने वाली इस बैठक में भारत इस में शामिल होने वाले देशों के साथ अफगानिस्तान और उसके आसपास से उत्पन्न होने वाले आतंकवादी खतरों पर चर्चा करेगा. इसके साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर भी बातचीत होगी.
HIGHLIGHTS
- अफगानिस्तान पर एनएसए की बैठक
- इस बैठक की मेजबानी भारत कर रहा है
- ईरान ने साल 2018 और 2019 में इसकी मेजबानी की थी