लोकसभा में सोमवार को संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया गया. इसे केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने सदन में प्रस्तुत किया. यह विधेयक सदस्यों की सहमति मिलने पर सर्वसम्मति से पास होगा. विपक्ष की पार्टियों ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है. इस अधिकार का उपयोग करते हुए महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय हरियाणा में जाट समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल करने का मौका मिल सकता है. ये बिल भारत के सभी राज्यों में राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में इस पर मुहर लगाई थी. संविधान में इस संशोधन की मांग कई नेताओं और क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ सत्ताधारी पार्टी के ओबीसी नेताओं ने भी की है.
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OBC विधेयक का होगा ये प्रभाव
इस विधेयक के पास होने से अब राज्य सरकार के पास ये अधिकार होगा कि राज्य अपने अनुसार, जातियों को अधिसूचित कर सकता है. राज्यों को ये अधिकार, संसद में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन पर मुहर लगने के बाद मिली है. इस अधिकार का उपयोग करते हुए महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय हरियाणा में जाट समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल करने का मौका मिल सकता है. मालूम हो कि ये तमाम जातियां लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इनकी मांगों पर रोक लगाता रहा है. इस विधेयक के पास होने के बाद अब इन जातियों की मांगे पूरी हो सकती हैं.
दरअसल राज्य सरकारें ओबीसी की सूची का निर्धारण खुद करती हैं. जबकि केंद्रीय सेवाओं के लिए केंद्र अलग से करता है. न्यायालय ने 5 मई के बहुमत आधारित फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा में OBC विधेयक हुआ पास
- राज्य सरकार तैयार कर सकेगी ओबीसी लिस्ट
- विधेयक को मिला सभी पार्टियों का समर्थन