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पुणे में विशालकाय विश्व शांति स्मारक का उद्घाटन 2 अक्टूबर को

पुणे में महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) पर दुनिया के सामने आएगा विश्व शांति का विशालकाय स्मारक, जिसमें होगा दुनिया का सबसे बड़ा खंभा रहित गुंबद और मानवता के चंद महान नेताओं के 54 कांसे से बने बुत.

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Deepak Kumar
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पुणे में विशालकाय विश्व शांति स्मारक का उद्घाटन 2 अक्टूबर को

विश्व शांति का विशालकाय स्मारक (आईएएनएस)

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पुणे में महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) पर दुनिया के सामने आएगा विश्व शांति का विशालकाय स्मारक, जिसमें होगा दुनिया का सबसे बड़ा खंभा रहित गुंबद और मानवता के चंद महान नेताओं के 54 कांसे से बने बुत. किसी पेशेवर आर्किटेक्ट की डिजाइन के बिना तैयार यह स्मारक एक शिक्षक डॉक्टर विश्वनाथ कराड की तेरह साल की मेहनत का नतीजा है. कराड देवदूतों, संतों, दार्शनिकों और वैज्ञानिकों की शिक्षाओं से प्रेरित होते रहे हैं.

कराड ने कहा, 'उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, संत ज्ञानेश्वर विश्व शांति प्रार्थना हाल एवं पुस्तकालय या विश्व शांति स्मारक को मानवता को दो अक्टूबर को समर्पित करेंगे. इस मौके पर चार दिवसीय विश्व संसद का आयोजन होगा. इसमें 110 वक्ता और दुनिया भर से आए हजारों डेलीगेट भाग लेंगे और विभिन्न सत्रों में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक विषयों पर राय रखेंगे.'

62500 स्क्वायर फीट में फैला यह अद्भुत स्मारक एमआईटी ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट्स के विश्वराजबाग कैंपस में बनाया गया है.

विश्व शांति स्मारक के बिना खंभों वाले गुंबद का व्यास 160 फीट है. वेटिकन के गुंबद का व्यास 139.6 फीट है. स्मारक का गुंबद 263 फीट की ऊंचाई पर है जिसके केंद्र में एक घंटी लटक रही है. प्रार्थना घर 30 हजार स्क्वायर फीट में फैला हुआ है.

इसमें विभिन्न देशों और धर्मो की 54 महान हस्तियों की कांस्य की बनी प्रतिमाएं रखी गई हैं.

जिन हस्तियों की प्रतिमाएं यहां लगी हैं उनमें गौतम बुद्ध, ईसा मसीह, महावीर, मूसा, गुरु नानक और महात्मा गांधी शामिल हैं. इनके साथ यहां महान बुद्धिजीवियों कन्फयूशियस, आदि शंकराचार्य, अरस्तू, आर्यभट्ट, सुकरात, प्लैटो, गैलीलियो और कोपरनिकस के मुजस्समे शामिल हैं. दार्शनिक-संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, अब्दुल्ला शाह कादरी (बाबा बुल्ले शाह के नाम से मशहूर), फ्रांसिस डी असीसी, पीटर, मदर टेरेसा एवं कबीर तथा वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, थॉमस अल्वा एडिसन, सी.वी.रमन, मैरी एस.क्यूरी और जगदीश चंद्र बोस की प्रतिमाएं भी इनमें शामिल हैं.

इन प्रतिमाओं का वजन एक से दो टन तक है और यह चार मीटर तक ऊंची हैं. यह महाराष्ट्र के विख्यात मूर्तिकार 93 वर्षीय राम वी. सुतार की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं.

कराड ने कहा, 'इस गुंबद के शीर्ष पर एक और चीज है जो दुनिया में और कहीं नहीं पाई जाती. यह है ज्ञान की देवी मां सरस्वती का मंदिर. यहां तक विशाल सीढ़ी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है.'

संगमरमर से बने इस शानदार गुंबद को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू लोगों के लिए खोलेंगे.

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एक गरीब किसान परिवार से संबंध रखने वाले 77 वर्षीय कराड पुणे स्थित एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक-अध्यक्ष और वर्ल्ड पीस सेंटर के महानिदेशक हैं.

Source : IANS

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