ओडिशा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरोगेसी से मां बनने वाली महिला कर्मचारियों को भी अन्य महिलाओं की तरह मातृत्व अवकाश और अन्य लाभ प्राप्त करने का पूरा अधिकार है. अदालत ने यह फैसला एक ओएफएस महिला अधिकारी सुप्रिया जेना की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया. महिला अधिकारी ने 2020 में याचिका दायर की थी. बता दें, सुप्रिया जेना सेरोगेसी से मां बनी थी पर उनके अधिकारियों ने उन्हें 180 दिनों का मातृत्व अवकाश नहीं दिया. इसके खिलाफ उन्होंने न्याय के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया.
यह है मामला
सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि बच्चे की देखभाल के लिए एक महिला को मातृत्व अवकाश दिया जाता है. वहीं एक साल की उम्र तक के बच्चे को गोद लेने वाली महिा कर्मी को 180 दिनों का अवकाश मिलता है. लेकिन सरोगेसी से हुए बच्चे की देखभाल के लिए मातृत्व अवकाश का प्रावधान नहीं है.
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सरोगेसी से मां बनी महिला को सुविधाएं न देना अनुचित
अदालत की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर सरकार गोद लेने वाली महिला को मातृत्व अवकाश दे सकती है तो सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे की मां को क्यों नहीं. उन्हें मातृत्व अवकाश न देना पूर्णरूप से अनुचित है. कोर्ट ने फैसला दिया कि सभी मां बनने वाली महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए फिर वह चाहे सरोगेसी से मां बने या किसी और तरह से. अदालत ने कहा कि मातृत्व अवकाश के चलते मां अपने बच्चे के साथ आत्मीय और प्रेमपूर्ण वातावरण बनाती है, जिससे मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है.
राज्य सरकार को अदालत का निर्देश
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि महिला याचिकाकर्ता को तीन माह के अंदर 180 दिनों का मातृत्व अवकाश प्रदान करे. अदालत ने विभाग को यह भी निर्देश दिए कि वे अपने नियमों में इसे भी शामिल करें, जिससे सरोगेसी और समान्य तरीके से पैदा हुए बच्चे सामान हों. अदालत ने कहा कि सरोगेसी कराने वाली मां को सभी समान लाभ दिए जाएं.
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Source : News Nation Bureau