ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत हो चुकी है. करीब एक हजार से अधिक घायलों में कुछ का इलाज जारी है, वहीं कुछ को डिस्चार्ज कर दिया गया है. इस दौरान एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. राहत कार्य के करीब दो दिन बाद एनडीआरएफ के डायरेक्टर अतुल करवाल ने रविवार शाम को बताया था कि हादसे 48 घंटे बीत जाने के बाद किसी के भी जिंदा निकलने की संभावना नहीं है. इस काम में पुलिस कर्मियों के साथ बचाव दल भी दिन रात लगा रहा. मगर रविवार शाम करीब 5.30 बजे घटनास्थल के नजदीक पुलिस कर्मियों को झाड़ियों के पास हल्की सी आवाज सुनाई दी.
झाड़ियों के पास से कहराने की सुनाई दी आवाज
कोरोमंडल एक्सप्रेस के पलटे हुए डिब्बों में से एक के नजदीक झाड़ी के पास से मदद की गुहार की अवाज सुनाई दी. यह आवाज बेहद धीमी थी. बीते दो दिनों से बचावकर्मियों ने इन जगहों की पूरी छानबीन की थी. मगर पास की झाड़ी छूट गई थी.
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एक पुलिसकर्मी ने इस बारे में बताया कि सभी हैरान थे कि हादसे के 48 घंटे बाद कोई जिंदा कैसे बच सकता है. हमने उसकी मदद के लिए कई जगहों पर कॉल किया. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहायता से उसे सोरो कम्युनिटी सेंटर लेकर पहुंचे. यहां पर उसे प्राथमिक उपचार दिया गया. उसे बालासोर जिला मुख्यालय में भर्ती कर दिया गया.
पांच सदस्यों के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस घायल शख्स की पहचान हो गई है. ये अभी बहुत अधिक कमजोर है. 35 वर्षीय शख्स के अनुसार, वह असम का निवासी है. उसका नाम दुलाल मजूमदार है. वह अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे. हालांकि अभी तक यह जानकारी प्राप्त नहीं हुई है कि ट्रेन में उनके साथ सफर कर रहे परिवार के सदस्यों में कितनों की जान बच पाई.
HIGHLIGHTS
- रविवार शाम करीब 5.30 बजे घटनास्थल से आवाज सुनाई दी
- पुलिस कर्मियों के साथ बचाव दल दिन रात लगा रहा
- पास की झाड़ी की छानबीन नहीं कर पाए थे पुलिसकर्मी