जम्मू-कश्मीर पर अपनाए गए रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बैठक में भारत के बारे में किए गए दावे 'झूठ और गलत बयानी' पर आधारित थे. उन्होंने कहा कि इस बयान ने इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) की अप्रासंगिक बना दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ओआईसी की बैठक का संचालन कर रहे पाकिस्तान की भूमिका भी बेपर्दा हो गई है. गौरतलब है कि ओआईसी संपर्क समूह ने एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप कश्मीर विवाद के उचित समाधान के बिना दक्षिण एशिया में स्थाई शांति संभव नहीं है. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की तुलना सीरिया और फिलिस्तीन से की गई थी.
ओआईसी के सामूहिक बयान पर भारत (India) ने गुरुवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस्लामाबाद (Islamabad) में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक के बाद जारी बयान पूरी तरह से ‘झूठ और गलत बयानी’ पर आधारित थे. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि बैठक में अपनाए गए बयान और संकल्प एक संगठन के रूप में इस्लामी सहयोग संगठन की प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. भारत ने कहा है कि इस बयान से साबित होता है कि ओआईसी पाकिस्तान की कठपुतली बन कर रह गया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जैसे मानवाधिकारों के लगातार उल्लंघनकर्ता की शह पर भारत के अल्पसंख्यकों के साथ हमारी सरकार के व्यवहार पर टिप्पणी करना इस संस्था की औचित्यहीन को स्पष्ट करती है. उन्होंने कहा कि इस तरह की कवायद से खुद को जोड़ने वाले देशों और सरकारों को अपनी प्रतिष्ठा पर पड़ने वाले प्रभाव का एहसास होना चाहिए.
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गौरतलब है कि है कि एक दिन पहले भी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान ओआईसी की बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के जम्मू-कश्मीर पर दिए गए बयानों की निंदा करते हुए उन्हें खारिज कर दिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि जम्मू-काश्मीर पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है. चीन समेत दुनिया के किसी भी देश को जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है. दरअसल, चीनी विदेश मंत्रालय ने कश्मीर में जारी आतंकवाद को लेकर कहा था कि भारत कश्मीर में सशस्त्र विद्रोह से लड़ रहा है.
HIGHLIGHTS
- ओआईसी के प्रस्ताव को बताया झूठ का पुलिंदा
- भारत के अंदरूनी मामले में दखल का हक नहीं
- पाक के इशारे पर ओआईसी ने गिराई प्रतिष्ठा