2022 के विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल को पूरा करने के बाद उसे दोहराने का इतिहास रच दिया है. लेकिन, चुनाव परिणाम से निकलने वाले आंकड़े और निष्कर्ष 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को टेंशन दे सकते हैं. इनमें सबसे बड़ा मुद्दा है, सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली का. इन नतीजों से संकेत मिलता है कि पुरानी पेंशन का मुद्दा लोकसभा चुनावों में भी कई पार्टियों खासकर भाजपा की टेंशन बढ़ायेगा. गौरतलब है चुनावो में इस मुद्दे का जादू अब कर्मचारी संगठनों के सिर चढ़कर बोल रहा है और तमाम कर्मचारी संगठन अब इस मुद्दे पर बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार करने में जुटे हैं .
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2022 के विधानसभा चुनावों को जिन वजहों से याद किया जाएगा, इसमें एक वजह सभी पार्टियों की तरफ से मेगा स्कीम्स की घोषणा भी शामिल होगी. दरअसल, किसी राजनीतिक दल ने गरीबों को चुनावों तक मुफ्त राशन दिया तो दूसरी ने इसे 5 साल तक जारी रखने का वादा किया, किसी ने बिजली की दरों में कटौती की बात कही तो सपा ने 300 यूनिट फ्री बिजली देने का ऐलान कर दिया. लेकिन इस सब पर भारी दिख रहा है समाजवादी पार्टी की ओर से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल करने वाली बड़ी घोषणा . लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन कर रहे प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों पर इस घोषणा का बड़ा असर देखने को भी मिला था. ये बात पोस्टल बैलेट की गिनती में निकलकर सामने आई है. प्रदेश के 312 विधान सभाओं में हुई पोस्टल बैलेट की गिनती में समाजवादी पार्टी ने बढ़त बना ली थी. इन नतीजों से संकेत मिलता है कि पुरानी पेंशन का मुद्दा लोकसभा चुनावों में भी कई पार्टियों खासकर भाजपा की टेंशन बढ़ायेगा. गौरतलब है चुनावो में इस मुद्दे का जादू अब कर्मचारी संगठनों के सिर चढ़कर बोल रहा है और तमाम कर्मचारी संगठन अब इस मुद्दे पर बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार करने में जुटे हैं .
अगर प्रयागराज ज़िले में आंकड़ों की बात करें तो सभी 12 सीटों पर सपा को भाजपा से काफी बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट मत प्राप्त हुए . प्रयागराज में मतगणना कर्मियों को कुल 12539 पोस्टल बैलेट मिले, इनमें 6905 मत सपा को मिले, जबकि मात्र 3930 ही भाजपा के खाते में आए. इसमें से कई सीटों पर सपा को भाजपा की तुलना में दो गुने तो कुछ सीटों पर तीन गुने तक वोट मिले. दरअसल, पोस्टल बैलेट की सुविधा 80 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग, दिव्यांगजनों, कोरोना पेशेंट के अलावा सरकारी कर्मचारियों को मिली हुई है . हालांकि, इनमें बड़ी संख्या सरकारी कर्मियों की ही होती है, बाकी तीनों श्रेणी में नाममात्र के मतदाता ही इस सुविधा का उपयोग करते हैं . गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने तमाम चुनावी सभाओं के मंचों से पुरानी पेंशन बहाल करने का जोरदार तरीके से ऐलान किया था. कुछ रणनीतिकार अखिलेश यादव की इस घोषणा को सपा की सत्ता वापसी से जोड़ने लगे थे, हालांकि ईवीएम से हासिल मतों के मामले में सपा भाजपा से पिछड़ गई. इस तरह भाजपा की सत्ता में वापसी हो गई, लेकिन इस घोषणा ने कर्मचारी संघों के आंदोलन के लिए एक नई ऊर्जा दे दी है और अब इस मांग को लेकर तमाम कर्मचारी नेता मुखर हो रहे हैं .
बड़ी बात ये है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस शासित राज्य पहले की पुरानी पेंशन की बहाली का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में अब दबाव भाजपा पर है. ऐसे में इस बात की आशंका है कि पुरानी पेंशन की बहाली को मांग लोकसभा चुनावों में भाजपा को टेंशन दे सकती है.
HIGHLIGHTS
- राजस्थान-छत्तीसगढ़ में योजना की हो चुकी है वापसी
- यूपी में सपा ने पेंशन बहाल करने का किया था ऐलान
- बैलेट पेपर में साफ दिखा सपा की घोषणा का असर