चीन की राजधानी बीजिंग में इस सप्ताह के शीतकालीन ओलंपिक रिले में मशाल ले जाने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) रेजिमेंट कमांडर की फाबाओ को चुनने के बाद से विवाद पैदा हो गया है. की फाबाओ नाम के जिस सैनिक को चीन की ओर से मशाल थमाई गई है, 2020 में लद्दाख के पास गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमले का जिम्मेदार भी रह चुका और झड़प के दौरान खुद जख्मी भी हो गया था. भारत ने ओलंपिक का राजनीतिकरण करने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि, “खेद है कि चीन ने ओलंपिक का राजनीतिकरण करना चुना है. बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में भारतीय दूत शामिल नहीं होंगे.”
Regrettable that China has chosen to politicise the Olympics. The Indian envoy will not attend the opening or closing ceremony of the Beijing Winter Olympics: @MEAIndia on reports of China making Galwan soldier torchbearer pic.twitter.com/y5qoJbgVEQ
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) February 3, 2022
चीन की राजधानी बीजिंग में इस सप्ताह के शीतकालीन ओलंपिक रिले में मशाल ले जाने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) रेजिमेंट कमांडर की फाबाओ को चुनने के बाद से विवाद पैदा हो गया है. ड्रैगन के इस कदम की निंदा भारत के साथ अमेरिका में भी हो रही है. अमेरिका के टॉप सिनेटर और स्टेट्स सीनेट कमेटी ऑन फॉरेन रिलेशंस के रैंकिंग सदस्य जिम रिश ने गुरुवार को शीतकालीन खेलों के लिए एक मशालची चुनने के लिए बीजिंग की निंदा की. उन्होंने कहा कि जो चीनी सैन्य अधिकारी भारतीय जवानों पर हमला करने का जिम्मेदार रह चुका है उसे मशाल थमाना खेल का राजनीतिकरण करना है. रिश ने कहा कि चीन उइगरों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है और अमेरिका इसका विरोध करता रहेगा. अमेरिका उइगर की स्वतंत्रता और भारत की संप्रभुता का समर्थन करने के लिए दृढ़ संकल्पित है.
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ओलंपिक के 1,200 मशालधारियों में की फाबाओ का नाम शामिल होने के बाद चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने उसे हिमालय की लड़ाई में भूमिका के लिए हीरो बताया. हालांकि इस सैन्य अधिकारी को लड़ाई के दौरान सिर में गंभीर चोट लगी थी. की फाबाओ दिसंबर में चीनी राज्य प्रसारक सीसीटीवी में दिखाई दिया था और कहा कि वह युद्ध के मैदान में लौटने और फिर से लड़ने के लिए तैयार है.