कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है. किसी को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है. इसी बीच उमर अब्दुल्ला के लिए राहत भरी खबर सामने आई है. करीब सात महीने बाद उन्हें रिहा कर दिया गया है. रिहा होने के बाद उन्होंने कहा कि मुझे एहसास हुआ कि हम जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे हैं. हमारे सभी लोग जिन्हें हिरासत में लिया गया है, उन्हें इस समय रिहा किया जाना चाहिए. हमें कोरोनवायरस से लड़ने के लिए सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए.
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जम्मू-कश्मीर सरकार (Jammu and Kashmir Govt) की ओर से मंगलवार को बड़ा आदेश जारी किया गया. फारुख अब्दुल्ला (Farroq Abdulla) की नजरबंदी हटाने के बाद अब उनके बेटे और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की रिहाई के भी आदेश जारी कर दिए गए हैं. उमर अब्दुल्ला को पिछले साल 5 अगस्त को राज्य में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद नजरबंद किया गया था. फारुख अब्दुल्ला के साथ उमर अब्दुल्ला (Omar Abdulla) और महबूबा मुफती (Mehbooba Mufti) को भी नजरबंद किया गया था. नजरबंदी की सीमा समाप्त होने के बाद इन्हें जनसुरक्षा कानून के तहत पाबंद कर दिया गया था.
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13 जनवरी को फारुख अब्दुल्ला को रिहा किया गया था. उमर अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर उनकी बहन सारा अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसकी सुनवाई के दौरान 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि सरकार एक सप्ताह में उमर अब्दुल्ला की रिहाई पर अपना नजरिया साफ करे. कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र जल्द उमर अब्दुल्ला को रिहा नहीं करता है तो उनकी बहन की याचिका पर सुनवाई की जाएगी.
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उमर अब्दुल्ला को पिछले साल 5 अगस्त को कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटने के बाद नजरबंद कर दिया गया था. इसके बाद उन्हें जम्मू कश्मीर लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में ले लिया गया. इसे अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को सारा अब्दुल्ला ने कहा था कि जिस फेसबुक पोस्ट को अमुर अब्दुल्ला का बताकर उमर अब्दुल्ला को शांति व्यवस्था के लिए खतरा बताया जा रहा है वह उनका है ही नहीं.
Source : News State