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मोदी सरकार को SC की टास्क फोर्स से राहत, O2 के उत्पादन-सप्लाई में अभूतपूर्व काम

टास्क फोर्स (Task Force) का मानना है कि वर्तमान हालात और कोरोना संक्रमण की अप्रत्याशित स्थिति में ऑक्सीजन उत्पादन और आपूर्ति के लिए जो कुछ किया गया, वह अभूतपूर्व है.

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Nihar Saxena
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15 से 20 फीसद ऑक्सीजन हो गई बर्बाद.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के बढ़ते मामलों और इस फेर में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी को लेकर आलोचना का शिकार हो रही केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित टास्क फोर्स ने बहुत बड़ी राहत देने का काम किया है. ऑक्सीजन के आवंटन मसले पर टास्क फोर्स (Task Force) का मानना है कि वर्तमान हालात और कोरोना संक्रमण की अप्रत्याशित स्थिति में ऑक्सीजन उत्पादन और आपूर्ति के लिए जो कुछ किया गया, वह अभूतपूर्व है. समस्या ढांचागत है. उसे भी बहुत कुछ दुरुस्त किया गया है. जरूरत है ऑक्सीजन उपयोग के सही प्रबंधन की व्यवस्था लागू करने की. पिछले एक पखवाड़े में ही जहां उत्पादन क्षमता में उछाल आया, वहीं अगर सप्लाई की बात हो तो उसमें दोगुना तक बढ़ोतरी हुई.

ऑक्सीजन आवंटन पर रविवार को हुई पहली बैठक
टास्क फोर्स ने माना है कि पहली लहर के वक्त 14 सितंबर, 2020 को सबसे ज्यादा केस लोड था. तब भारत में 10.15 लाख एक्टिव केस थे और रोजाना लगभग एक लाख नए केस आ रहे थे. तब राज्यों को लगभग 3,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई थी. एक मार्च को इसकी जरूरत घटकर 1,318 मीट्रिक टन रह गई थी, लेकिन जरूरत के अनुसार नौ मई को राज्यों को लगभग 9,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की गई. सुप्रीम कोर्ट की ओर से शनिवार को गठित 12 सदस्यीय टास्क फोर्स की पहली बैठक रविवार को हुई तो सभी सदस्यों ने इसे सराहा. सूत्रों के अनुसार, सदस्यों का मानना था कि ऑक्सीजन के सही उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है.

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15 से 20 फीसद बर्बाद हुई ऑक्सीजन
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तीन सदस्यों ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि उन्होंने 15-20 फीसदी ऑक्सीजन की बर्बादी रोकी है. ध्यान रहे कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी बार-बार आगाह किया जा रहा है कि ऑक्सीजन को किस तरह बचाया जाए. कुछ सदस्यों ने ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर चिंता जताई तो एक सदस्य ने केवल आशंका में भर्ती होने वाले मरीजों पर ध्यान देने की बात कही.

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ऑक्सीजन ऑडिट जरूरी 
सूत्रों की मानें तो ऑक्सीजन आवंटन की वर्तमान व्यवस्था में फिलहाल कोई परिवर्तन नहीं है. वैसे भी यह रोजाना आकलन के आधार पर होता है और इसमें राज्यों के साथ भी मशविरा होता है. बहरहाल, सब-कमेटी की रिपोर्ट के बाद इसका भी फार्मूला बनेगा. फिलहाल जो फार्मूला है उसकी कोरोना के बदलते रूप और प्रभाव के आधार पर हर राज्य के साथ समीक्षा होती रहेगी. सदस्यों का मानना था कि ऑडिट बहुत जरूरी है. इसका अर्थ यह नहीं कि किसी राज्य या अस्पताल की खामी गिनाई जाए बल्कि इसमें उपयोग के तौर-तरीके से लेकर इसके स्टाक के लिए ढांचागत व्यवस्था तक सब कुछ शामिल है.

HIGHLIGHTS

  • टास्क फोर्स ने माना हुआ अभूतपूर्व काम
  • ऑक्सीजन की 15 से 29 फीसदी हुई बर्बादी
  • केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना कर दी राहत
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