जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन (JNU Administration) ने मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर से सीवी (Curriculam Vitae) मांगा, जिसे देने से उन्होंने मना कर दिया है. रोमिला थापर का कहना था कि जेएनयू से अपना सीवी साझा करने में उनकी कोई रुचि नहीं है. कई इतिहासकारों-बुद्धिजीवियों ने इसे रोमिला थापर का अपमान माना था.
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जेएनयू प्रशासन ने इस मामले में कहा था, सिर्फ रोमिला थापर से ही सीवी नहीं मांगी गई है. 11 अन्य एमेरिटस प्रोफेसरों से भी सीवी मांगी गई है. यह एमेरिटस प्रोफसेर वहीं हैं जो 31 मार्च 2019 तक 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं. जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार कहते हैं कि एमेरिटस प्रोफेसर के कामों का मूल्यांकन करने के लिए सीवी मंगाने का फैसला विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने लिया है.
कौन होते हैं एमेरिटस प्रोफेसर
किसी संकाय की तरफ से प्रस्तावित ख्यातिप्राप्त नाम को कार्यकारी और अकादमिक परिषद् की मंजूरी मिलने के बाद एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में मनोनीत किया जाता है. इसके बाद संबंधित संकाय में अकादमिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए इन्हें एक कक्ष दिया जाता है. शोधार्थियों को पढ़ाने के साथ ही वे सुपरवाइज भी कर सकते हैं.
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जिनलोगों से मांगी गई सीवी
रोमिला थापर के अलावा जिन लोगों से सीवी मांगी गई है, उनमें पूर्व कुलपति आशीष दत्ता, जाने-माने वैज्ञानिक आर राजारमण, प्रोफेसर एचएस गिल, सीके वाष्र्णेय, संजय गुहा, योगेंद्र सिंह, डी बनर्जी, टीके ओम्मेन, अमित भादुड़ी और शीला भल्ला आदि शामिल हैं.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो