बिहार पुलिस (Bihar Police) ने शनिवार को पटना आतंकी मॉड्यूल (Patna Terrorist Module) मामले में उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है. हिरासत में लिया गया व्यक्ति, जिसकी पहचान एडवोकेट नूरुद्दीन जंगी के रूप में हुई है. वह कथित तौर पर 2047 की साजिश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की मदद कर रहा था. जंगी को पटना पुलिस और आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) की विशेष टीम ने लखनऊ (Lucknow) के चारबाग से हिरासत में लिया है. नूरुद्दीन जंगी वर्ष 2020 में sdpi के बैनर तले दरभंगा से विधान सभा चुनाव लड़ चुका है. साथ ही sdpi और pfi सदस्यों को वकील मुहैया करवाता था. वह वर्ष 2015 से PFI से जुड़ा था.
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नूरुद्दीन जंगी (nuruddin jangi) एफआईआर में 19वां आरोपी है, जिसमें 26 लोगों के नाम हैं. वह दरभंगा का रहने वाला है. उन्हें वापस बिहार लाया गया है.
पटना पुलिस ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि 'भारत बांटो' मॉड्यूल के कथित सरगना अरमान मलिक जेएनयू (JNU) में पढ़ते थे. पुलिस ने बताया कि वह पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़ा था. गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपी झारखंड के पूर्व पुलिस अधिकारी मोहम्मद जल्लाउद्दीन और अतहर परवेज हैं. मलिक ने अल्बा कॉलोनी में बिना किसी रजिस्ट्रेशन के एक संस्था बना ली थी, जो वहां के निवासियों से हर महीने 600 रुपये वसूल करती थी. उसने परवेज और उसके भाई के साथ जमीन की दलाली के सौदे भी किए.
'2047' षडयंत्र केस
पटना पुलिस ने गुरुवार को 2047 तक भारत में एक "इस्लामी सरकार" स्थापित करने की बात करने वाले एक दस्तावेज का खुलासा किया, जब देश अपनी स्वतंत्रता की 100 वीं वर्षगांठ मनाएगा. आंतरिक दस्तावेज़ में टिप्पणी की गई है कि पीएफआई को विश्वास है कि भले ही 10 प्रतिशत मुस्लिम आबादी इसके पीछे जुट गई, फिर भी इस्लामी संगठन "बहुसंख्यक समुदाय को अपने घुटनों पर लाकर भारत में इस्लाम की महिमा को वापस लाएगा. हालांकि पटना पुलिस द्वारा भंडाफोड़ किए गए भारत विरोधी साजिश से पीएफआई ने दूरी बना ली है.