कोरोना कहर के बीच एक और वायरस ने दी दस्तक, अब तक सात लोगों की मौत, जानें उसके लक्षण

पूरी दुनिया में कोरोना कहर बरपा रहा है. इसका इलाज अभी तक किसी के पास नहीं है. पूरा विश्व इसका कारगर समाधान निकालने में जुटा है. लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिला. वहीं दूसरी तरफ एक खबर है जो और विचलित करती है. अभी कोरोना के कहर पर अंकुश लगा भी नहीं कि

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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पूरी दुनिया में कोरोना कहर बरपा रहा है. इसका इलाज अभी तक किसी के पास नहीं है. पूरा विश्व इसका कारगर समाधान निकालने में जुटा है. लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिला. वहीं दूसरी तरफ एक खबर है जो और विचलित करती है. अभी कोरोना के कहर पर अंकुश लगा भी नहीं कि एक और वायरस ने दस्तक दे दी है. इस वायरस से अबतक चीन में सात लोगों की मौत हो चुकी है. 60 लोगों को अपने चपेट में ले लिया है. बता दें कि एक कीड़े टिक (Tick) के काटने से वहां नया वायरस फैल रहा है. टिक-जनित वायरस के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (एसएफटीएस) के साथ गंभीर बुखार ने चीन के स्वास्थ्य महकमे को परेशानी में ला दिया है.

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वायरस संक्रमित लोगों में 30 फीसदी मरीजों की मौत हो सकती है

वहीं शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट के अनुसार वायरस संक्रमित लोगों में 30 फीसदी मरीजों की मौत हो सकती है. रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए चीन के सूचना प्रणाली के अनुसार, वर्तमान मामले में मृत्यु दर लगभग 16 से 30 प्रतिशत के बीच है. यह वायरस टिक नाम के कीड़े के काटने की वजह से मनुष्यों में फैल रहा है. चीनी वायरस विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायरस के मानव-से-मानव संक्रमण को खारिज नहीं किया जा सकता है. SARS-CoV-2 के विपरीत, यह पहली बार नहीं है जब SFTS वायरस ने लोगों को संक्रमित किया है. वायरस की पहचान सबसे पहले चीन में शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक दशक पहले की थी. 2009 में हुबेई और हेनान प्रांतों के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले ऐसे कुछ मामले सामने आए थे.

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ऐसे लक्षण आने पर डॉक्टर से करें संपर्क

बीमारी से पीड़ित होने पर मरीजों को बुखार, थकान, ठंड, सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी, एनोरेक्सिया, मतली, दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, मसूड़ों से रक्तस्राव जैसी समस्या हो सकती है. इस वायरस की वजह से मरीज में कम प्लेटलेट काउंट और ल्यूकोसाइटोपेनिया की समस्या आती है. ज्यादा गंभीर मामलों में पीड़ित मरीज के शरीर में कई अंग काम करना बंद कर देता है. मरीज को रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होता है और तंत्रिका तंत्र पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. यह वायरस जापान, दक्षिण कोरिया सहित कई अन्य पूर्वी एशियाई देशों में भी मिल चुका है.

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2013 में दक्षिण कोरिया में इस वायरस से संक्रमित 36 लोगों की पुष्टि हई थी

साल 2013 में दक्षिण कोरिया में इस वायरस से संक्रमित 36 लोगों की पुष्टि हई थी. रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में आंकड़ा बढ़कर 270 के करीब पहुंच गया. इस बीच, चीन ने 2010 में 71 और 2016 में 2,600 मामले दर्ज किए. जापान में 2016 और 2017 में इस वायरस के संक्रमण की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जब तीनों देशों में मामलों की संख्या बढ़ने लगी, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्थानीय डॉक्टरों और आम नागरिकों को टिक काटने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में शिक्षित करना शुरू कर दिया. वैज्ञानिकों ने बताया कि इस घातक वायरस और इससे होने वाली बीमारी के बारे में लोगों को जाकरुक करने के बाद संक्रमण की घातक दर में काफी गिरावट आई.

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