आखिरकार वह दिन आ ही गया, जब करीब सात साल बाद निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दे दी गई है. रेप और हत्या के चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. दिल्ली की तिहाड़ जेल में जल्लाद पवन ने चार दोषियों को फंदे पर लटका दिया. हालांकि अभी करीब आधे घंटे तक शव फंदे पर ही लटके रहेंगे. उसके बाद चारों का डाक्टरी परीक्षण होगा और डाक्टर इस बात की पुष्टि करेंगे कि चारों ने दम तोड़ दिया है. उसके बाद प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी.
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आपको बता दें कि मामले के दोषी ठहराए गए मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को तो फांसी के फंदे पर लटका दिया गया है, लेकिन इस मामले में दो और दोषी भी थे. इनमें एक दोषी राम सिंह था, बताया जाता है कि रामसिंह ने जेल में ही खुदकुशी कर ली थी. साथ ही छठा दोषी भी था, जो घटना के वक्त नाबालिग बताया जाता था. उस छठे और सबसे छोटे दोषी को जुवेनाइल कोर्ट ने तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी, अपनी सजा पूरी करने के बाद अब वह छठा और घटना के वक्त नाबालिग था, वह अब आजाद है. लेकिन वह दोषी कौन था और उसकी इस पूरे घटनाक्रम में क्या भूमिका थी, यह भी आज आपको जानना चाहिए. निर्भया मामले में एक यही ऐसा आरोपी है, जिसका नाम, पता ठिकाना और चेहरा तक लोग नहीं जानते हैं और वही एक दोषी अभी तक जिंदा है. बाकी को अपने किए की सजा मिल चुकी है.
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बता दें कि मामले में कुछ छह लोग आरोपी बनाए गए थे. मामले में सबसे छोटे और नाबालिग रहे आरोपी को तीन साल बाद ही यानी 20 दिसंबर 2015 को रिहा कर दिया गया था. घटनाक्रम के अनुसार बताया जाता है कि इसी दोषी ने निर्भया और उनके दोस्त को आवाज देकर बस में बैठने के लिए बुलाया था. बताया यह भी जाता है कि इसी नाबालिग दोषी ने ही निर्भया से सबसे पहले छेड़छाड़ शुरू की थी और अपने साथियों को इस वारदात को अंजाम देने के लिए उकसाया था. घटनाक्रम के अनुसार इसी ने निर्भया के शरीर में लोहे की रॉड डाल दी थी, जिससे निर्भया की आंतें तक बाहर आ गई थीं. जंग लगी लोहे की रॉड से निर्भया का टॉचर करने वालों में यही दोषी था. बताया जाता है कि घटना के वक्त इस नाबालिग की उम्र 17 साल छह महीने थी, यानी वह बालिग होने में मात्र छह महीने ही छोटा था. यानी घटना के कुछ ही समय बाद वह 18 साल का हो जाता.
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अब आज आपको यह भी जानना चाहिए कि वह दोषी आखिर है कौन. खबरों के अनुसार यह दोषी उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और जब वह करीब 11 साल का था, तभी घर से भाग निकला और दिल्ली आ गया था. यहीं दिल्ली में आकर वह काम करने लगा और उसके बाद वह रामसिंह के सम्पर्क में आ गया. इसके बाद वह क्लीनर बन गया. बताया यह भी जाता है कि नाबालिग के कुछ पैसे रामसिंह पर बकाया है और उसी पैसे को लेने के लिए 16 दिसंबर को वह रामसिंह के पास पहुंचा था.
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इस एकमात्र आरोपी का केस जुवेनाइल कोर्ट में चली और उसे तीन साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उसे बाल सुधार गृह में रखा गया था. अपनी सजा पूरी करने के बाद 20 दिसंबर को ही वह रिहा हो गया था. उसने इस दौरान कुकिंग सीखी. जब वह जेल से रिहा हुआ उसके बाद परिवार वालों से बात करने के बाद उसे दक्षिण भारत के किसी स्थान पर भेज दिया गया था और यहां तक कि उसका नाम तक बदल दिया गया था. दरअसल ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि लोगों में इस घटना और इसके दोषियों को लेकर जबरदस्त गुस्सा था, इसलिए लोग उसे नुकसान न पहुंचा दें, इसलिए यह कदम उठाया गया था. अब वह अपने बदले हुए नाम और बदली हुई पहचान के बाद दक्षिण भारत के ही एक रेस्टोरेंट में काम कर रहा है और उसका स्थान भी बदल भी दिया जाता है. अब वह करीब 25 साल का हो गया है और किसी नामालूम जगह पर अपना जीवन जी रहा है.
Source : News Nation Bureau