Operation Octopus: पिछले 32 सालों से बिहार और झारखंड के नक्सलवादियों की राजधानी बना हुआ है बूढ़ा पहाड़. यह क्षेत्र चारों तरफ से पहाड़ियों, 3 जिलों के साथ छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित है. ऊंचाई होने के कारण कई बार चलाए गए ऑपरेशन के बावजूद यहां किसी भी सशस्त्र बल को सफलता नहीं मिली. 2018 में झारखंड पुलिस की स्पेशल फोर्स झारखंड जैगवार के आधा दर्जन जवान शहीद हुए, जबकि दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बुरी तरह से घायल हुए. इस साल जब देश आजादी के 75 साल मना रहा था तब जाकर ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत 3 दशकों के बाद इस क्षेत्र में भारतीय संविधान की प्रभुसत्ता सीआरपीएफ के अदम्य साहस से स्थापित हुई.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुए 2007 के बड़े माओवादी हमले के बाद तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में LWE का गठन किया गया. जिसके तहत विकास की योजनाओं के साथ ही सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक हथियार और वाहन भेजे गए 2009 में भारतीय सेना की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री जबलपुर के जरिए यह एंटी माइन वहीकल माओवादियों से लड़ने के लिए भेजा गया है.
AMV की खास बात यह है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में इसका इस्तेमाल बिना बारूदी सुरंग से डरे किया जा सकता है, जिसमें एक साथ 15 जवान सफर कर सकते हैं, पूरी तरह से बुलेट प्रूफ है, 50 किलो आरडीएक्स का भी इस पर कोई असर नहीं होता. इसके ऊपर हैंज़ को खोलकर लाइट मशीन गन के साथ एक कमांडो तैनात रहता है, जबकि कुछ कमांडो ऑटोमेटिक असाल्ट राइफल के साथ अंदर से ही गोलाबारी करने में सक्षम है.
मोदी सरकार आने से पहले देश के 47 जिले पूरी तरह से नक्सल प्रभावित थे. तब नेपाल के पशुपतिनाथ से लेकर तमिलनाडु के तिरुपति तक माओवादियों का रेड कॉरिडोर बना हुआ था, लेकिन सुरक्षा बलों के साहस और सरकार की विकास योजनाओं से अब सिर्फ 13 जिले ही नक्सल प्रभावित रह गए हैं. एक वक्त था जब झारखंड की सीमा के सभी पांचों राज्य जिसमें उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश शामिल हैं नक्सल प्रभावित हुआ करते थे.
Source : News Nation Bureau