भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन गुरुवार को अगले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं में जहां उत्साह का संचार किया, वहीं जेडीयू के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दो मुलाकातों से विपक्ष को यह भी संदेश देने की कोशिश की कि एनडीए में कहीं कोई मतभेद नहीं है, जेडीयू से गठबंधन अटूट है।
बीजेपी अध्यक्ष शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्षी महागठबंधन 'लार टपकाता रहे' मगर नीतीश कुमार के साथ गठबंधन नहीं टूटेगा।
उन्होंने दावा किया कि अगले लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 40 सीटें एनडीए जीतेगा। कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए उन्होंने कहा, 'हमने जिस जीत की आदत डाली है, उसे बनाए रखना होगा।'
पटना में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद बीजेपी शक्ति केंद्र प्रभारियों को संबोधित करते हुए शाह ने बिहार के गौरवशाली इतिहास की चर्चा की और देश को कांग्रेस मुक्त करने के अपने अभियान की चर्चा कहते हुए कहा, 'कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की शुरुआत बिहार से ही हुई है। कांग्रेस के आपातकाल के दौरान इसी धरती पर जयप्रकाश नारायण निकले और कांग्रेस को हटा दिया। बिहार के राजेंद्र प्रसाद, कर्पूरी ठाकुर जी और जय प्रकाश नारायण ने देश को दिशा दी है।'
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यह बात दीगर है कि कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना करने वाले अमित शाह अपने गृहराज्य को अब तक कांग्रेस मुक्त नहीं कर पाए हैं। गुजरात के 77 विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस और तीन पर इसके सहयोगी दलों का कब्जा है।
बीजेपी को एक विचारधारा बताते हुए शाह ने कहा, 'बीजेपी एक परिवार की नहीं, बल्कि विचारधारा की पार्टी है। विचारधारा के संघर्ष में कार्यकर्ताओं पर अत्याचार हुए और हमारे कार्यकर्ता आज भी बलिदान दे रहे हैं। 10 सदस्यों वाली पार्टी आज 11 करोड़ सदस्यों की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।'
उन्होंने साढ़े चार वर्ष के एनडीए सरकार के विकास कार्यो की चर्चा करते हुए कार्यकर्ताओं से सरकार की योजनाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता को बताने की सलाह दी।
शाह ने 2013 में कांग्रेस कार्यकाल की चर्चा करते हुए कहा, 'उस समय देश में नीतिगत लकवा मार गया था। देश का हर मंत्री खुद को प्रधानमंत्री मानता था, परंतु प्रधानमंत्री खुद को प्रधानमंत्री नहीं मानता था। इसके बाद नरेंद्र मोदी की हवा आई जो आंधी बनी और फिर सुनामी बन गई और फिर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी।'
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उन्होंने कांग्रेस के साथ आरजेडी पर भी निशाना साधते हुए कहा, 'वर्ष 2014 में सभी विपक्षी पार्टियां हमारे खिलाफ लड़ी थीं और हमने सभी को हराकर ही सत्ता पाई थी। हम इन सभी को फिर से हराएंगे।'
शाह ने जोर देकर कहा, 'एनडीए से सिर्फ चंद्रबाबू नायडू गए हैं, लेकिन उनके बदले नीतीश कुमार आ गए हैं, तो क्या फर्क पड़ा।'
इससे पहले, शाह के पटना स्थित ज्ञानभवन पहुंचने पर 101 शंख ध्वनियों से उनका स्वागत किया गया। इसके बाद उन्हें मखाने का माला पहनाकर सम्मानित किया गया।
इसके बाद शाह बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे और फिर राजकीय अतिथिशाला में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और चुनाव तैयारी समिति के नेताओं के साथ बैठक की।
इससे पहले, अपने दो दिवसीय बिहार दौरे पर गुरुवार को पटना पहुंचे अमित शाह और एनडीए में शामिल जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ पटना के राजकीय अतिथिशाला में मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने साथ में सुबह का नाश्ता किया। इस दौरान करीब एक घंटे तक दोनों नेताओं ने सियासी चर्चा की।
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नीतीश के रात्रिभोज निमंत्रण पर शाह रात में मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। दोनों नेता एक बार फिर रात के भोजन पर मिले। इस भोज में दोनों दलों के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। कयास लगाया जा रहा है कि अपने-अपने पार्टी के दोनों प्रमुखों के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी चर्चा होगी।
इस बीच, जेडीयू के वरिष्ठ नेता क़े सी़ त्यागी ने बताया कि एक ही गठबंधन में शामिल दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई है, लेकिन अभी यह पहले ही दौर की बातचीत है। ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर सारी बातें तय हो जाएंगी, इस पर संशय है।
इससे पहले, शाह गुरुवार की सुबह करीब 10 बजे पटना हवाईअड्डे पहुंचे, जहां बीजेपी के नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय सहित कई केंद्रीय मंत्री और बिहार के मंत्री सहित बड़ी संख्या में कार्यकताओं ने उनका स्वागत किया।
इधर, शाह के आगमन को लेकर पटना की सड़कें बीजेपी के बैनर, पोस्टरों से भरी पड़ी हैं। शाह के आगमन को लेकर सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किए गए हैं। शाह शुक्रवार सुबह दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे।
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Source : IANS