2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कोशिश में लगे बीजेपी विरोधी दलों ने शुक्रवार को पटना में खास मीटिंग बुलाई. इस बैठक में कई ऐसे दल शामिल हुए जो अपने राज्य में एक दूसरे को एक आंख नहीं भाते, ज्यादातर इन क्षेत्रीय दलों की रार कांग्रेस पार्टी से ही रही है. इनमें पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी, पंजाब और दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी, यूपी में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और केरल में सत्ताधारी वामदल प्रमुख हैं. ये सभी वो पार्टियां हैं जो अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस से लोहा लेकर ही कभी ना कभी सत्ता तक पहुंची हैं. वर्तमान में इनमे से कुछ आज भी सत्ता में हैं, तो कुछ को अपनी वापसी का इंतजार है. ऐसे में 2024 के लिए विपक्षी एकता का तानाबाना बुनना थोड़ा मुश्किल जरूर दिखाई देता है. इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं जिन पर सहमति और असहमति की वजह केंद्र में बीजेपी के खिलाफ एकजुटता की धार को कुंद करती दिखती है. जैसे... इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के दो दल शामिल हुए, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस. दोनों ही दलों का साफ कहना है कि कश्मीर से धारा 370 का हटाया जाना गैर संवैधानिक था. जबकि इसी विपक्षी कुनबे में दूसरी तरफ बैठी शिवसेना (उद्धव बाला साहब ठाकरे गुट) इस पर क्या स्टैंड रखती है, ये सभी को पता है. तो अगर हम ये कहें कि विपक्षी एकता की इस खिचड़ी में है तो सब कुछ...लेकिन इसका पकना बहुत मुश्किल है, ये गलत नहीं होगा...
खैर अब बात ताजा मुद्दे की करें तो मामला पंजाब और दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच टसल का है. दरअसल आम आदमी पार्टी ने इस बैठक में हिस्सा तो लिया लेकिन साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस से किनारा कर लिया. ऐसा बताया जा रहा है कि पार्टी सा स्टैंड क्लीयर है... कि जब तक कांग्रेस पार्टी संसद में केंद्र द्वारा दिल्ली में लाए अध्यादेश के खिलाफ आवाज एक नहीं करती, तब तक 2024 में विपक्षी एकता की किसी भी तस्वीर का वो हिस्सा नहीं बनेगी. वैसे कर्नाटक में मिली प्रचंड जीत से गदगद कांग्रेस पार्टी भी किसी भी तरह से क्षेत्रीय दलों के सामने झुकने को तैयार नहीं है...मीटिंग में कुछ ऐसा ही देखने को मिला.
शुक्रवार को हुई इस बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी दलों ने 2024 में एकजुटता दिखाने की बात तो कही, लेकिन इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई. अब मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी जानकारी है कि इस बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिसकी वजह से आप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से खुद को अलग कर लिया. खबर है कि इस मीटिंग के शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का मुद्दा उठाया. जिसके बाद इस मीटिंग में मौजूद जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उन्हें टोकते हुए पूछा कि कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का आपने संसद में समर्थन क्यों किया था?
मामला यहीं नहीं रुका. कांग्रेस पार्टी भी मीटिंग में पूरी तैयारी के साथ आई थी. ऐसा बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केजरीवाल को अखबार की उन कतरनों को दिखाया जिसमें आप नेताओं द्वारा कांग्रेस पार्टी के खिलाफ दिए गए बयानों की बानगी थी. इसके अलावा खड़गे ने पटना मीटिंग से पहले AAP द्वारा दिया गया वो बयान भी दिखाया जिसमें केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस का स्टैंड पूछा गया था. खड़गे ने कहा कि मीटिंग से एक दिन पहले ये बयान देने का क्या मतलब है? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो ये भी दावा किया गया है कि बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं को कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने यहां तक कह दिया कि आप कनपटी पर बंदूक लगाकर फैसला नहीं करवा सकते हैं.
बता दें कि केजरीवाल द्वारा पटना मीटिंग के दौरान इस मुद्दे को उठाने का टीएमएसी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी समर्थन नहीं किया. दोनों पार्टियों ने अध्यादेश के मुद्दे को पटना की मीटिंग का मेन पॉइंट बनाने की अरविंद केजरीवाल की कोशिशों पर सवाल उठाए. ममता ने कहा कि जब इस मीटिंग का एजेंडा पहले से तय था केजरीवाल ने अध्यादेश का मुद्दा क्यों उठाया.
ऐसा बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केजरीवाल की मांग पर कहा कि विपक्षी दल संसदीय मुद्दों पर तब चर्चा करते हैं जब सेशन चल रहा होता है. उन्होंने कहा कि AAP के नेता भी संसद में विपक्ष की रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई मीटिंग्स में शामिल होते हैं. खड़गे ने अध्यादेश पर कांग्रेस का स्टैंड क्लियर करने के केजरीवाल की जिद पर हैरानी जताई.
उधर इस मीटिंग के बाद आम आदमी पार्टी ने बयान जारी कर बैठक की बातों को सार्वजनिक कर दिया. इस बयान में आम आदमी पार्टी ने बताया है कि इस बैठक में समान विचारधाराओं वाली 15 पार्टियां शामिल हुईं, जिनमें से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है. AAP का कहना है कि इन 12 में से 11 दलों ने केंद्र के काले अध्यादेश के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है. आम आदमी पार्टी ने तो ये भी दावा किया है कि कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब यूनिट ने अपने केंद्रीय नेतृत्व को इस अध्यादेश का समर्थन करने के लिए कहा है. अब आम आदमी पार्टी का ये भी कहना है कि कांग्रेस पार्टी के सांसद इस अध्यादेश पर वोटिंग के समय वॉकआउट कर जाएंगे, जिससे की केंद्र सरकार को इसे पास करवाने में आसनी हो...
अब AAP के दावे में कितनी सच्चाई है और कांग्रेस का स्टैंड रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन इस घटनाक्रम से एक चीज तो साफ हो गई है कि जिन पार्टियों को अगले संसद सत्र तक के लिए भी एक दूसरे पर भरोसा नहीं है, वो 2024 तक किस भरोसे साथ रहेंगे...?
रिपोर्ट- नवीन कुमार
Source : News Nation Bureau