अपने विदाई भाषण के दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सेंट्रल हॉल में रविवार को कहा कि सरकार को अध्यादेश के विकल्प से बचना चाहिए और सिर्फ विकट परिस्थितियों में ही इसका इस्तेमाल होना चाहिए।
फेयरवेल भाषण के दौरान राष्ट्रपति ने कहा, 'मेरा मानना है कि अध्यादेश का इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब काफी विकट परिस्थिति आ जाए और वित्त मामलों में अध्यादेश का प्रावधान नहीं होना चाहिए।'
माना जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी ने मोदी सरकार को यह नसीहत इसलिए दिया क्योंकि भूमि अधिग्रहण बिल को पास करवाने के लिए केंद्र सरकार कई बार अध्यादेश लेकर आई थी जिससे कि बिल को संसद से पास करवाया जा सके।
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प्रणब मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि अध्यादेश का रास्ता सिर्फ ऐसे मामलों में चुनना चाहिए, जब विधेयक संसद में पेश किया जा चुका हो या संसद की किसी समिति ने उस पर चर्चा की हो।
मुखर्जी ने कहा, 'अगर कोई मुद्दा बेहद अहम लग रहा हो तो संबंधित समिति को परिस्थिति से अवगत कराना चाहिए और समिति से तय समयसीमा के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहना चाहिए।'
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उल्लेखनीय है कि अध्यादेश जारी किए जाने के छह सप्ताह तक इसकी वैधता बनी रहती है और उसके बाद यह खुद ही रद्द हो जाता है। सरकार को इसके बाद या तो इसकी जगह कानून पारित करना होता है या फिर से अध्यादेश जारी करना होता है।
देश की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार शत्रु संपत्ति अध्यादेश पांच बार ला चुकी है, क्योंकि विपक्ष को इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है।
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Source : News Nation Bureau