देश में 72 वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न की तैयारी चरम पर है। इस बीच स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया। राष्ट्रपति कोविंद ने अपने भाषण की शुरूआत में देश को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते तिरंगा को हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक बताया और कहा कि इस देश को स्वाधीनता संग्राम के वीरों, किसानों, मजदूरों, सैनिकों और युवाओं ने बनाया है। उन्होंने कहा, हम भाग्यशाली हैं कि हमें महान देशभक्तों की विरासत मिली है। उन्होंने हमें एक आज़ाद भारत सौंपा है। साथ ही उन महान आत्माओं ने ऐसे काम भी सौंपे हैं जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा देश का विकास करने, तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के काम हम सबको मिलक कर करना है। गरीबी से लेकर स्वच्छता, सेना से लेकर महिलाओं की हालत और किसानों से लेकर युवाओं तक पर देश को संदेश दिया।
किसान देश के अन्नदाता
देश के लिए किसानों के महत्व को बताते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं। हमारे किसान उन करोड़ों देशवासियों के लिए अन्न पैदा करते हैं जिनसे वे कभी आमने-सामने मिले भी नहीं होते। वे देश के लिए खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराके हमारी आज़ादी को शक्ति प्रदान करते हैं।
सेना बाहरी खतरों से हमारी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करती है
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं। वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित करते हैं।
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उन्होंने कहा जब हम सैनिकों के लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, स्वदेश में ही रक्षा उपकरणों के लिए सप्लाई-चेन विकसित करते हैं, और सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
राष्ट्रपति ने सेना की तारीफ करते हुए कहा प्राकृतिक आपदाओं के समय वे हम सबको सहारा देते हैं। जब हम उनके काम-काज और व्यक्तिगत जीवन में सुधार लाते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
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युवाओं के बल पर खड़ा है भारत
देश के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए राष्ट्रुपति रामनाथ कोविंद ने कहा, आज हम अपने इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जो अपने आप में बहुत अलग है। आज हम कई ऐसे लक्ष्यों के काफी क़रीब हैं, जिनके लिए हम वर्षों से प्रयास करते आ रहे हैं। हर भारतीय जो अपना काम निष्ठा और लगन से करता है। चाहे वह डॉक्टर हो, नर्स हो, शिक्षक हो, लोक सेवक हो, फैक्ट्री वर्कर हो, व्यापारी हो, बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वाली संतान हो। ये सभी स्वाधीनता के आदर्शों का पालन करते हैं।
उन्होंने कहा , हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता के लिए, तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं। जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा हमारे नौजवान भारत की आशाओं और आकांक्षाओं की बुनियाद हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम में युवाओं और वरिष्ठ-जनों सभी की सक्रिय भागीदारी थी। लेकिन उस संग्राम में जोश भरने का काम विशेष रूप से युवा वर्ग ने किया था।
महिलाओं की आजादी में देश की आजादी
समाज में महिलाओं की भूमिका पर जोर देते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, जब हम महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों या स्टार्ट-अप के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं, करोड़ों घरों में एल.पी.जी. कनेक्शन पहुंचाते हैं, और इस प्रकार महिलाओं का सशक्तीकरण करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
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उन्होंने कहा, एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों। महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है। कई मायनों में महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है।
गांधी के विचारों को समझने की जरूरत
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, हमें बापू के विचारों को समझने की जरूरत हैं। हमारी स्वाधीनता का उत्सव मनाने का इससे बेहतर कोई और तरीका नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम सब भारतवासी अपने दिन-प्रतिदिन के आचरण में गांधीजी द्वारा सुझाए गए रास्तों पर चलने का संकल्प लें। राष्ट्रपति ने कहा गांधीजी ने अहिंसा का यह अमोघ अस्त्र हमें प्रदान किया है।
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कोविंद के मुताबिक गांधीजी का महानतम संदेश यही था कि हिंसा की अपेक्षा, अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है। प्रहार करने की अपेक्षा, संयम बरतना, कहीं अधिक सराहनीय है तथा हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है।
उन्होंने कहा चंपारन में गांधी जी ने स्वयं स्वच्छता अभियान का नेतृत्व किया। उन्होंने साफ-सफाई को, आत्म-अनुशासन और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माना, हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा। उन्हें राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं मंजूर नहीं थीं।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, भारत के राष्ट्रपति के रूप में विश्व में हर जगह, जहां-जहां पर मैं गया, सम्पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधीजी को सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। उन्हें मूर्तिमान भारत के रूप में देखा जाता है।
Source : News Nation Bureau