केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए भारतीय सेना के जवानों को जम्मू के बिजली स्टेशनों पर तैनात किया गया है. यह जम्मू-कश्मीर के बिजली विकास विभाग (पीडीडी) के अनुरोध पर किया गया है, जो शुक्रवार रात से कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से जूझ रहा है. जम्मू-कश्मीर में सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ बिजली विभाग के 20 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल की वजह से केंद्रशासित प्रदेश के 20 जिलों में बिजली की जबरदस्त किल्लत देखने को मिल रही है.
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जम्मू-कश्मीर पीडीडी को पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में विलय करने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा विभाग के संपत्ति के निजीकरण के फैसले को लेकर पीडीडी कर्मचारी और जम्मू-कश्मीर प्रशासन आमने-सामने हैं. कर्माचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद से बिजली को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. जम्मू और कश्मीर में बिजली की किल्लत के बाद सेना की 237 इजीनियर्स कोर ने रविवार देर शाम को मीरा साहिब टाली मोड़ और गलैडनी के अलावा अन्य ग्रिड स्टेशनों पर मोर्चा संभाल लिया. फिलहाल मीरा साहिब ग्रिड स्टेशन से सीमावर्ती 350 गांवों को बिजली की आपूर्ति सोमवार को बहाल हो जाने की उम्मीद है.
जम्मू के डिविजनल आयुक्त ने कहा- समाधान के लिए किया जा रहा कार्य
बिजली कर्माचरियों की हड़ताल ने हजारों निवासियों को कड़ाके की ठंड और कोविड-19 महामारी के बीच अत्यधिक कठिनाइयों में डाल दिया है. इस बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों से बातचीत की लेकिन गतिरोध अब भी जारी है. सूचना और जनसंपर्क विभाग ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने कहा, "सरकार उनकी दो प्रमुख मांगों पर पहले ही सहमत हो चुकी है. जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने कर्मचारियों से अपनी हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया है. जम्मू,
डिविजनल आयुक्त राघव लंगर ने बैठक के बाद कहा कि सरकार सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता और ईमानदारी के साथ काम कर रही है.
उमर ने कहा-यह गवर्नेंस की विफलता
इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “जम्मू-कश्मीर के जम्मू डिवीजन में बिजली के बुनियादी ढांचे को संचालित करने के लिए सेना को बुलाया गया है. एक प्रशासन के लिए सेना को बुलाना पूरी तरह विफलता है.
The army has been called to operate the power infrastructure in Jammu division of J&K. There no bigger admission of failure for a civilian administration than to call upon the army, it means a total breakdown of governance has been accepted by the J&K government. pic.twitter.com/xEVPqF1adN
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 19, 2021
HIGHLIGHTS
- बिजली विभाग के 20 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
- केंद्रशासित प्रदेश के 20 जिलों में बिजली की जबरदस्त किल्लत
- उमर अब्दुल्ला ने कहा- सेना को बुलाना प्रशासन की पूरी तरह विफलता
Source : News Nation Bureau